राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: May 12 2020 4:27PM ज्येष्ठ महीने के पहले मंगलवार पर मंदिर सड़के वीरानलखनऊ 12 मई (वार्ता) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मे ज्येष्ठ महीने के पहले बडे मंगल पर आज हनुमान मंदिर मे न तो रात से भक्तों की लंबी लाईन लगी, न जयकारे गूंजे और न कहीं भंडारा हुआ। कोरोना संक्रमण को लेकर पिछले पचास दिन से जारी लाकडाउन के दौरान सभी मंदिरों के कपाट बंद हैं। इसलिए पिछले लगभग 300 साल से ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को हनुमान मंदिर मे पूजा और शहर मे होने वाले भंडारे की परम्परा भी टूट गई। राजधानी मे 900 से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर हैं जहां हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित है। राज्य के अन्य शहरों मे तो नहीं लेकिन लखनऊ मे ज्येष्ठ महीने मे पड़ने वाले मंगलवार का अपना ऐतिहासिक महत्व है जो इस शहर की गंगा जमुनी तहजीब से जुडा है। नवाब सादात अली खान को कोई औलाद नही थी। इसलिए उनकी मां आलिया बेगम ने हनुमानजी की पूजा की। नवाब सादात अली खान के घर ज्येष्ठ के महीने मे मंगलवार के दिन ही बेटा पैदा हुआ। आलिया बेगम ने बेटे का नाम मंगल रखा। सादात अली खान ने बेटा होने की खुशी मे राजधानी के अलीगंज इलाके मे हनुमान जी के मंदिर का निर्माण 1798 मे कराया। चूंकि नवाब के घर बेटे ने जन्म लिया था इसलिए पूरे शहर मे भंडारा कराया गया और तभी से ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को हनुमान मंदिर मे पूजा और पूरे शहर मे भंडारे की परम्परा शुरू हो गई। गर्मी के कारण भंडारे मे गुड़ और चना ही दिया जाता था लेकिन बदलते समय के साथ भंडारे का सवरूप भी बदला। गुड़ चने से भंडारा पूरी सब्जी से ह़ोता हुआ चाऊमीन आइसक्रीम तक आ गया। ज्येष्ठ महीने मे हर मंगलवार को शहर मे 500 से ज्यादा जगह पर भंडारे हर साल हुआ करते हैं। अधिकतर गरीब परिवारों मे मंगलवार के दिन चूल्हा नहीं जलता लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ। राज्य सरकार ने लोगों और स्वयंसेवी संस्थाओं से भंडारे का आयोजन नहीं करने और भंडारे की सामग्री को कम्युनिटी किचन मे देने की अपील की है ताकि लाकडाऊन के कारण बेरोजगार हो गये और.फूटपाथ पर जीवन बिता रहे लोगों की और जयादा मदद की जा सके। ज्येष्ठ महीने का मंगलवार और भंडारा लखनऊ के लोगों के लिए एक उत्सव की तरह होता है जिसे नहीं कर पाने का मलाल शहर के लोगों को लंबे समय तक रहेगा।विनोद प्रदीपवार्ता