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बिजली कर्मचारी एक जून को मनायेंगे काला दिवस

लखनऊ 23 मई (वार्ता) विद्युत संशोधन विधेयक और निजीकरण के विरोध में देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी एक जून को काला दिवस मानयेंगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सभा में यह निर्णय लिया गया कि कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बिजली का निजीकरण करने के लिये इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का मसौदा जारी करने का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने शनिवार को बताया कि एक जून को बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और इंजीनियर अपने कार्य पर रहते हुए पूरे दिन दाहिने बाजू पर काली पट्टी बांधकर निजीकरण के लिये लाए गए बिल का पुरजोर करेंगे और शाम तीन से पांच के बीच राजधानी लखनऊ सहित प्रत्येक जिला व परियोजना मुख्यालय पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
उन्होने बताया कि संघर्ष के कार्यक्रमों के क्रम में यह भी निर्णय लिया गया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और निजीकरण से उपभोक्ताओं खासकर किसानों और 300 यूनिट तक बिजली का उपभोग करने वाले गरीब उपभोक्ताओं को बिल के प्रतिगामी परिणामों से अवगत कराने हेतु व्यापक अभियान चलाया जाएगा |
संघर्ष समिति ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 के पारित हो जाने के बाद किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली की दरों में मिल रही सब्सिडी समाप्त हो जाएगी | बिल के प्राविधानों के अनुसार किसी भी उपभोक्ता को लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी |
उन्होने बताया कि बिजली की लागत अभी 06.78 रूपये प्रति यूनिट है और निजीकरण के बाद कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनी को न्यूनतम 16 फीसदी मुनाफा भी दिया जाए तो आठ रूपये प्रति यूनिट से कम में बिजली किसी को भी नहीं मिलेगी | इस प्रकार किसानों को लगभग 6000 रु प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 8000 से 10000 रु प्रति माह तक बिजली का बिल देना होगा | इस प्रकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और निजीकरण जनविरोधी और कर्मचारी विरोधी प्रतिगामी कदम है जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा |
श्री दुबे ने कहा कि लोकतांत्रिक आंदोलनों का दमन करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने और आंदोलनों को कुचलने की कार्यवाही से विचलित न होते हुए सभी कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियंताओं का संघर्ष समिति ने आह्वान किया है कि वे पावर सेक्टर के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में निर्भय होकर लोकतांत्रिक संघर्ष में शत प्रतिशत एकजुटता सुनिश्चित करें।
प्रदीप
वार्ता
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