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प्रयागराज में संगम के पास गंगा नदी में कटान जारी

प्रयागराज,29 मई (वार्ता) मोक्षदायिनी गंगा, श्यामल यमुना और अंत सलिला स्वरूप में प्रवाहित संगम तट के निकट रामघाट पर गंगा में कटान जारी है।
पुलिस ने तेज कटान के कारण घाट से पहले रास्ते को बैरीकेडिंग लगाकर बंद कर दिया है। रामघाट संगम से पहले है, इसलिए यहां बड़ी संख्या में स्नानार्थी स्नान करने आते हैं। पूजा-पाठ से लेकर दान-पुण्य भी यहां किया जाता है। जल पुलिस ने भी कटान वाले क्षेत्र में वाटर बैरीकेड़िंग कर दिया और अलर्ट घोषित कर दिया है।
प्रभारी जल पुलिस कड़ेदीन यादव ने शुक्रवार को यहां बताया कि माघ मेला या कुंभ मेला के दौरान संगम के बाद यह मुख्य स्नानघाट होता है। उन्होने बताया कि स्नानार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए रामघाट और कालीघाट की तरफ जाने वाले रास्तों पर बैरीकेड़िंग की गयी है।
उन्होने बताया कि कटान लगातार जारी है। पुलिस को सुचित कर दिया कि घाट से तीर्थपुरोहित को पीछे हटाया जाए। स्नानार्थी किसी प्रकार का अनुरोध नहीं सुन रहे हैं। फिर भी जल पुलिस के जवान वहां मौजूद है। सुबह एक महिला नदी में गिरने से बच गयी। उन्होने बताया कि पूरब से पश्चिम की तरफ तेज हवा चलने से पानी किनारो से टकराता है जिससे करार कटकर नदी में समाहित हो रहे हैं। उन्होने बताया कि दो जून को गंगा दशहरा है, उस दौरान स्नानार्थियों को रोकपाना मुश्किल होगा।
सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता बृजेश कुमार ने बताया कि यह नदी की धारा की प्रकृति है। किनारे पर प्रवाह तेज होने से कटान स्वाभाविक है। इसमें चिंता जैसी कोई बात नहीं है। गर्मी में इन दिनों गंगा में पर्याप्त जल है इसलिए धारा के व्यवहार में परिवर्तन आया है। उन्होने बताया कि इसे कटान नहीं कहा जाएगा बल्कि यह नदी का व्यवहार है।
श्री कुमार ने बताया कि नदी में यदि सिल्ट की मात्रा अधिक आती रहती है तब उसके बहाव की रफ्तार मंद रहती है तब उसका व्यवहार थोड़ा शांत रहता है और बल्कि स्वच्छ रहने पर निर्वाध बहाव से उसका व्यवहार उग्र रहता है। किनारों को काटती हुई आगे बढ़ती रहती है। जब तक वह अपने कोर्स में इधर-उधर जा रही उसका कोई औचित्य नहीं है, यह उसका स्वभाव है। उन्होने बताया कि मेले के समय बसाहट होने से उसके कटाव को रोकने का प्रावधान होता है इसलिए कटान को रोका जाता है। नरौरा डैम और अन्य स्थानों से उस दौरान पानी छोड़े जाने के कारण कटान होता रहता है।
अधिशासी अभियंता ने बताया कि पानी अपना रास्ता खुद बनाता है। नदी के इसी स्वभाव को देखते हुए इसके अगल-बगल किसी प्रकार का स्थायी निर्माण नहीं कराया जाता। वह कभी एक स्थिर चाल नहीं चलती। वह हमेशा धारा बदलती हुई चलती है।
दिनेश भंडारी
वार्ता
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