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सूर्यग्रहण और अमावस्या के अनूठे संयोग में खूब लगी आस्था की डुबकी

लखनऊ 21 जून (वार्ता) प्रयागराज,वाराणसी,चित्रकूट और गढ़ मुक्तेश्वर समेत उत्तर प्रदेश के तमाम क्षेत्रों ने रविवार को सूर्यग्रहण और अमावस्या के अनूठे संयोग के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों और सरोवरों पर स्नान किया और दान पुण्य कर परिवार को रोगमुक्त और समृद्धि की कामना की।
कोरोना संक्रमण के चलते स्नानार्थियों ने सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखा। इस दौरान विभिन्न जिला प्रशासनों ने अमावस्या के अवसर पर लगने वाले मेले के आयोजन पर पाबंदी लगा रखी थी जिसके चलते घाटों पर भीड़ अपेक्षाकृत काफी कम रही और गिने चुने श्रद्धालु बारी बारी से नदियों और सरोवरों पर डुबकी लगाते दिखे। स्नान दान का सिलसिला भोर चार बजे से ही शुरू हो गया था।
बृजघाट व तिगरीधाम गंगा तट पर सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी के तट पर हर-हर गंगे के जयकारों के साथ स्नान ध्यान किया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण और अमावस्या के अवसर पर पवित्र गंगा नदी या सरोवर में स्नान ध्यान और दान करने का विशेष महत्व है। रविवार सुबह अमावस्या पर्व पर बृजघाट व तिगरी गंगा तट पर दिल्ली, हरियाणा पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलावा दूरदराज से काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर हर-हर गंगे के उदघोष के साथ पवित्र गंगा नदी में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई।
भोर की पहली किरण के साथ गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का गंगा तट पर पहुंचना शुरू हो गया। दोपहर तक गंगास्नान करने के लिए श्रद्धालु गंगा तटों पर पहुंचते रहे। सूर्य को अर्ध्य देकर परिवार व समाज में सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की। गंगास्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पूजा-अर्चना कर जरूरतमंदों को दान भी किया।
कोरोना महामारी के कारण पहले के मुकाबले इस बार संख्या बेहद कम रही। गंगा तटों के दोनों ओर गढमुक्तेश्वर (हापुड़) और अमरोहा की गजरौला पुलिस काफी अलर्ट रही। पुलिस द्वारा बार बार गंगा में बढ़े जलस्तर को लेकर भी श्रद्धालुओं को बार-बार चेतावनी दी जाती रही।
टीम प्रदीप
जारी वार्ता
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