Thursday, Apr 25 2024 | Time 07:50 Hrs(IST)
image
राज्य » उत्तर प्रदेश


लोकरूचि स्कीमर चंबल तीन अंतिम इटावा

चंबल का मोती नाम से पुकारे जाने वाले इस पक्षी केे चंबल टापूओं पर घोंसलों में कुनबा चहचहा रहा है। 17वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक इस पक्षी की सुंरदता और शिकार करने की खासियत ने इसे कई नए नाम भी दिलाए।
जो अब 21वीं सदी में भी इसे नए नाम मिल रहे हैं । कोई से चंबल का मोती, पनचीरा, ज्वैल्स ऑफ चंबल इत्यादि नाम से जानते हैं। यानि की जिला पक्षी ऐसा है जो कलाबाजी खाते हुए और पानी को चीरते हुए मछली का शिकार कर यह सिद्ध करता है की वह एक अचूक और माहिर शिकारी है। इस समय चंबल टापूओं पर नेस्ट बनाकर प्रजनन काल के बाद अब इनके अंडों से बच्चे बाहर निकल रहे हैं, जो कि बारिश होने के बाद जुलाई लास्ट मेें अपने परिवार के संग यहां से विदा ले लेंगे ।
मानवीय हस्तक्षेपों और घटते आवास के कारण अब ये एक संकटग्रस्त प्रजाति है । इंडियन स्कीमर मुख्य रूप से नदियों, झीलों और नमभूमियों में रहना पसंद करता है । वर्तमान में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य भारतीय स्कीमर की एक बड़ी आबादी का प्रजनन स्थान है। साल में 8 महीने चंबल में अच्छी संख्या में आकर बच्चे पैदा करने के बाद यहां से जाते हैं।
इतिहास की बात करे तो इंडियन स्कीमर का जिक्र सबसे पहले एडवर्ड बक्ले (1602-1709) द्वारा बनाए गए उनके चित्र में किया गया । एडवर्ड बक्ले मद्रास में तैनात ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्जन और एक अग्रणी प्रकृतिवादी थे । ये पहले इंसान थे जिन्होंने भारतीय पक्षियों की प्रजातियों के चित्र बनाकर दस्तावेजीकरण किया था। इन्होंने मद्रास स्थित फोर्ट सेंट जार्ज के आसपास के इलाके से कुल 22 पक्षियों के चित्र व विवरण तैयार किए थे।
एडवर्ड बक्ले ने ही स्कीमर का सबसे पहला चित्र बनाया जिसे उस समय मद्रास सी क्रो का नाम दिया था । 1731 में अल्फ्रेड हेनरी माइल्स ने एन एनसाइक्लोपीडिया आॅफ नेचुरल हिस्ट्री में जिक्र किया है कि किसी अमेरिकी लेखक ने समुद्र के ऊपर पानी को चीरते हुए उड़ने वाले पक्षी को कट वाटर नाम से संबोधित किया था जो कि बाद में साइसर्स बिल नाम से जाना जाने लगा।
इंडियन स्कीमर का प्रजनन काल भीषण गर्मी के दिनों में (मार्च से मई) होता है। यह मुख्य रूप से खुले रेतीले तट पर अपना घोंसला बनाते हैं। अंडे भूरे धब्बों और लकीरों के साथ सफेद व भूरे रंग के होते हैं। पक्षी प्रेमी संजीव चौहान बताते हैं कि तेज गर्मियों में यह अपने अंडों को गर्मी से बचाने के लिए बार-बार पानी में जाकर पंखों को भिगोकर अंडों पर बैठ उन्हें ठंडा करते हैं। यह पक्षी दीवाली से पहले लेह-लद्दाख से हजारों किमी का सफर तय कर चंबल तक आते हैं लेकिन सही ढंग से बारिश होने से पहले अपने बच्चों के साथ यहां से वापस लेह-लद्दाख के लिए चले जाएंगे।
सं प्रदीप
वार्ता
More News
मोदी यूपी में करेंगे ताबड़तोड़ जनसभायें

मोदी यूपी में करेंगे ताबड़तोड़ जनसभायें

24 Apr 2024 | 9:53 PM

लखनऊ 24 अप्रैल (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरूवार को आगरा, बरेली व शाहजहांपुर में जनसभाओं को सम्बोधित करेंगें।

see more..
image