राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jul 12 2020 2:36PM लोकरूचि ब्रज रौनक तीन अंतिम मथुराब्रज में दालबाटी वर्षा ऋतु का महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। समाजसेवी सर्वेश कुमार शर्मा एडवोकेट ने बताया कि दालबाटी और बरसात एक दूसरे के पर्यायवाची से हैं। ब्रज में इसे पर्व के रूप में मनाते हैं तथा चाहे मुठिया की बाटी हो या धूधरबाटी चूरमा हो या इसमें किया गया मामूली परिवर्तन हो - सभी कार्यक्रम ठाकुर को समर्पित होते हैं तथा ठाकुर का प्रसाद लगाकर ही इसे ग्रहण किया जाता है। उन्होंने बताया कि चूंकि यह गरिष्ठ प्रसाद है इसलिए इसका आयोजन इस प्रकार किया जाता है कि प्रसाद ग्रहण करने वाला दिन में एक बार ही भोजन कर सके। ब्रज में इसका आयोजन प्रायः हनुमान जी के रोट के रूप में होता है तथा इसे बाद में प्रसादस्वरूप भक्तों में वितरित किया जाता है। कोरोना के कारण भंडारों का आयोजन बिल्कुल बन्द है अन्यथा तीर्थयात्री इसे न केवल प्रसाद स्वरूप ग्रहण करता था बल्कि इसके कारण उसके खाने की समस्या का भी निराकरण हो जाता था। ब्रज में मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गहवरवन बरसाना, बल्देव आदि में परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। कोरोना के कारण इनमें भी ग्रहण लग गया है तथा धार्मिक भावना से ओतप्रोत ब्रजभूमि के निवासी भी मन मसोस कर बैठे हैं। ब्रज में आयोजनों की कमी नही है कुनबाड़ा से लेकर छप्पन भोग तक ऐसे कई आयोजन है जिन पर कोरोना ने विराम लगा दिया है। राजा ठाकुर मंदिर गोकुल के सहायक महंत भीखू महराज ने कहा कि जिस गोकुल में 24 घंटे भक्ति अनवरत नृत्य करते थे, आज कोरोना ने उसमें जबर्दस्त वीरानगी पैदा कर दी है । बल्लभकुल संप्रदाय के मंदिरों में नित्य ठाकुर से करोनावायरस के संक्रमण को दूर करने की पूरी श्रद्धा से जिस प्रकार आराधना की जा रही है वह चमत्कार दिखाएगी इसमें संदेह नही है। सं प्रदीपवार्ता