जालौन 13 जुलाई (वार्ता) “ कैसे आकाश में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो ” इस बात को उत्तर प्रदेश के जालौन जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा मूर्त रूप देने के काम में लगे हैं कैदियों के बीच वह इस तरह से सुधार प्रक्रिया चला रहे हैं कि शातिर अपराधियों के जीवन में भी सकारात्मक बदलावों की बयार बहने लगी है। जिला जेल जनपद मुख्यालय उरई में स्थित है इसमें कुल बंदियों की संख्या 712 है और 09 जून 2017 में जेल अधीक्षक के रूप में श्री शर्मा यहां आए । अपनी पहली ही तैनाती में ही युवा जेल अधीक्षक का उद्देश्य स्पष्ट उन्होंने यह तय कर लिया था कि उन्हें अपनी जेल के कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव इस तरह से लाने हैं कि वह स्वयं ही अपराध से तौबा कर लें और अपनी मर्जी से इस रास्ते से अलग हो जाएं। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने प्रतिदिन बंदियों को बुलाकर मुलाकात करनी शुरू की। इन मुलाकातों से उन्होंने कैदियों के बारे में तथा उनकी पृष्ठभूमि और वह कैसे जेल तक पहुंचे जैसी जानकारी विस्तृत रूप से लीं।
अधीक्षक ने सोमवार को यूनीवार्ता से खास बातचीत में बताया कि मेरी इच्छा थी कि बंदियों को कैसे नशे और अपराध से दूर रख सकूं । इसी सोच के साथ मैंने लगातार अपनी ओर से हर संभव प्रयास किया और आज अपनी तैनाती के तीन साल बाद जब मैं इन बंदियों में बदलाव को देखता हूं ,उनका मजबूत संकल्प देखता हूं तब ईश्वर को बहुत—बहुत धन्यवाद देता हूं । यहां के जिलाधिकारी डा. मन्नान अख्तर जिला, जज अशोक कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक डा. सतीश कुमार को भी बहुत—बहुत धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने बंदियों को अच्छे रास्ते पर लाने के लिए हर संभव सहयोग दिया।
कैदियों के विषय में जानकार श्री शर्मा ने जेल कर्मचारियों और वहां पहले से चली आ रही कुरीतियों पर प्रभावी नियंत्रण लगाया । जेल में हर तरह के नशे की उपलब्धता, कैदियों को मोबाइल की उपलबधता और ऐसी ही दूसरी गलत कवायदों पर पूरी तरह से रोक लगायी गयी।
जेल अधीक्षक ने बताया कि यह आसान काम नहीं था और उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसमें पहले तो कैदियों ने भी काफी असहयोग किया लेकिन जब कई नये काम उनके हित में ही जेल में शुरू हुए तो सभी ने इन बदलावों को स्वीकार किया। जेल में सुबह छह बजे प्रार्थना सभा की शुरूआत करायी और इसके बाद योगाभ्यास शुरू कराया। उन्होंने इसके लिए प्रयास कर श्री श्री रविशंकर और ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विद्यालय के प्रशिक्षकों से कैदियों को योग का प्रशिक्षण दिलाया। उन्होंने जेेल में आध्यात्मिक कार्यक्रमों की शुरूआत करायी , श्रीमद्भागवत और धार्मिक कीर्तन और संगीत के कार्यक्रम भी करवाए। इस काम के लिए उन्होंने बाहर के भागवताचार्य तथा संगीत पार्टियों को भी बुलवाया। ऐसे कार्यक्रमों से कैदियों के व्यवहार में जबरदस्त बदलाव आया और उनके बीच से ही भागवत कहने वाले और उसमें रुचि रखने वाले बंदी आनंद पांडे को इस काम के लिए तैयार किया गया । अब जेल में आनंद पांडे भगवत आचार्य के रूप में प्रसिद्ध है और वही भागवत पर प्रवचन करते हैं। इसी तरह बंदियों की दो कीर्तन मंडलियां तैयार की गयीं।
सं सोनिया
जारी वार्ता