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उत्तर प्रदेश-कैदी बदलाव दो अंतिम जालौन

श्री शर्मा ने न केवल कैदियों में बदलाव के लिए काम किया बल्कि इस बदलाव को स्वीकारने वाले कैदियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल कर जिलाधिकारी डा. मन्नान अख्तर, जिला जज अशोक कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक डा. सतीश कुमार से उन्हें सम्मानित करवाया तथा प्रमाण पत्र भी दिलवाए जिससे बंदियों में उत्साह कई गुना बढ़ गया ।
इसी तरह बंदियों को पढ़ने के लिए धार्मिक और साहित्यिक पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने जेल में ही एक पुस्तकालय बनवाया जिसमें ढाई हजार से अधिक धार्मिक एवं साहित्यिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। इन्हें कैदियों को उपलब्ध कराया जाता है और सात दिन बाद कैदी उन्हें वापस पुस्तकालय में जमा करते हैं । इतना ही नहीं जेल में रस्साकशी, खो—खो, कबड्डी , वॉलीबाल आदि प्रतियोगिताएं कराते हैं। इसको ओलंपियाड का नाम देते हैं। इनमें हिस्सा लेकर बंदियों में जहां खेलों के प्रति रुचि पैदा होती है। वही उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है।
श्री शर्मा कहते हैं अब जेल में कोई नशा नहीं करता है, कैदियों में सद्गुणों का प्रभाव बढ़ा है । इसके कारण बंदियों ने स्वयं यह संकल्प लिया है वह जेल से बाहर जाकर अपराध की तरफ कभी नहीं जाएंगे ना ही किसी किस्म का नशा करेंगे। श्री शर्मा ने कहा इसे मैं अपने जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि मानता हूं। जेल अधीक्षक के रूप में उरई जेल में आना मेरे जीवन का सार्थक हो जाने जैसा है।
श्री शर्मा के इस भागीरथ प्रयास की सराहना जेल के छोटे मोटे कैदी से लेकर गंभीर मामलों में सजा काट रहे कैदी तक करते हैं। सभी का कहना है कि श्री शर्मा ने उनके जीवन की राह ही बदल दी है। उनके भीतर अब ऐसे सकारात्मक बदलाव आये हैं कि अब उनमें अपराध से दूर रहने की दृढ़ता आ गयी है और उन्होंने अपने मन से ही अपराधों से दूर रहने का संकल्प लिया है। श्री शर्मा के प्रयास बताते हैं कि सब कुछ इंसान की सोच पर निर्भर करता है ,अगर सोच और संकल्प मजबूत है तो अपराधियों में भी बदलाव लाया जा सकता है।
सं सोनिया
वार्ता
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