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पुलिस अधिकारियों को अदालती आदेश के पालन का मौका

प्रयागराज, 16 जुलाई (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा के पुलिस निरीक्षक द्वारा दाखिल याचिका पर एडीजी स्थापना पीयूष आनंद, पुलिस कमिश्नर नोएडा आलोक सिंह, एडिशनल पुलिस कमिश्नर नीतिन तिवारी एवं तत्कालीन एस एस पी नोएडा को अवमानना का प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए आदेश अनुपालन का एक और मौका दिया है ।
न्यायाधीश एम सी त्रिपाठी ने सेक्टर- 20 नोएडा में तैनात रहे इंस्पेक्टर मनोज पन्त की अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया है।
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने अदालत को बताया कि इसके पूर्व भी याची ने अवमानना याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत ने पिछली 17 दिसम्बर को आदेश पारित कर सभी अधिकारियों को दो माह का समय आदेश पालन करने का दिया था लेकिन अधिकारियों ने आदेश का पालन नहीं कर कहा कि याची का तबादला नोएडा से गोरखपुर कर दिया गया है तथा उसे नोएडा से कार्यमुक्त भी कर दिया गया है, इस कारण अब उसे नोएडा ( गौतमबुद्ध नगर ) में पोस्टिंग नहीं दी जा सकती ।
अधिकारियों के इस आदेश को बताते हुए याची ने पुनः अवमानना याचिका दायर की थी । याची के वकील का कहना था कि याची एवं कुछ इलेक्ट्रानिक और प्रिन्ट मीडिया के लोगों के खिलाफ जनवरी 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा धारा 384 आई पी सी के तहत उसी थाना सेक्टर- 20 नोएडा में मुकदमा कायम हुआ । आठ लाख रूपया रिश्वत लेने के आरोप में याची इन्सपेक्टर एवं पत्रकारों को जेल भेज दिया गया । बाद में एसएसपी ने याची को निलम्बित कर दिया था। उच्च न्यायालय ने याची की याचिका पर उसके निलम्बन पर रोक लगाते हुए आदेश दिया कि याची वही सेवा में बना रहे तथा उसे सैलरी दी जाय।
उच्च न्यायालय के आदेश पर तत्कालीन एसएसपी नोएडा ने पिछले साल 15 अगस्त को याची को सेवा में बहाल कर उसे पुलिस लाइन्स में ज्वाइन कराने का आदेश दिया। बाद में याची का निलम्बन वापस ले लिया गया । निलम्बन वापस लेने के बाद कोर्ट ने याचिका यह कहते हुए निस्तारित कर दी कि विभागीय कार्रवाई के दौरान याची की नोएडा में पोस्टिंग को लेकर उचित आदेश पारित किया जाय । कहा गया था कि अधिकारियों ने पोस्टिंग को लेकर कोई आदेश पारित न कर एस एस पी की रिपोर्ट पर उसका नोएडा से गोरखपुर जोन 29 नवम्बर 2019 को तबादला कर दिया गया ।
जब याची ने पहली अवमानना याचिका दायर की तो कोर्ट ने अधिकारियों को दो माह का समय हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन का दिया था । जिस पर अधिकारियों ने आदेश पारित कर कहा कि याची का तबादला गोरखपुर जोन कर दिया गया है और वह कार्यमुक्त हो चुका है, इस कारण उसकी नोएडा में पोस्टिंग नहीं दी जा सकती है । याची के वकील का कहना था कि चूंकि उच्च न्यायालय का आदेश था कि याची की विभागीय कार्रवाई के दौरान नोएडा में पोस्टिग जारी रखी जाए, इस कारण अधिकारियों ने उसकी पोस्टिंग नोएडा में न कर गोरखपुर जोन में तबादला करके आदेश की अवहेलना की है ।
सं दिनेश प्रदीप
वार्ता
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