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उच्च न्यायालय ने पुलिस इंपेक्टर का निलम्बन किया रद्द

प्रयागराज, 17 जुलाई (वार्ता)इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में मथुरा के हाईवे थाने में तैनात पुलिस इन्सपेक्टर जगदंबा सिंह का वहां के डीआईजी/ एसएसपी द्वारा पारित निलम्बन आदेश को रद्द कर दिया है।
अपर पुलिस महानिरीक्षक/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने लापरवाही बरतने के चलते आम जनता में पुलिस की छवि धूमिल होने को आधार बनाकर इन्सपेक्टर को 11 फरवरी 2020 को निलम्बित कर दिया गया था।
यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन्सपेक्टर जगदंबा सिंह की याचिका पर दिया है।
याची के तरफ से न्यायालय में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि निलम्बन आदेश कानूनी रूप से गलत है । कहा गया था कि निलम्बन आदेश पारित करने से पूर्व सक्षम अधिकारी ने उन तथ्यों पर न तो विचार किया और न ही कोई आदेश में जिक्र ही किया है, जिसके आधार पर सन्तुष्ट होकर याची को निलम्बित किया गया।अधिवक्ता का कहना था कि निलम्बन से पूर्व अधिकारी को उन कारणों का आदेश में उल्लेख करना चाहिए जिस पर विचार कर संतुष्ट होने पर निलम्बन आदेश पारित किया गया ।
न्यायालय ने आदेश में सच्चिदानंद त्रिपाठी केस मे निलम्बन को लेकर प्रतिपादित सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि याची के केस में सक्षम अधिकारी ने निलम्बन आदेश पारित करने से पूर्व ऑब्जेक्टिव सन्तुष्टि रिकार्ड नहीं किया है । इस निलम्बन आदेश को चुनौती देते हुए कानूनी मुद्दा उठाया गया था, और इस सम्बन्ध में कानून भी प्रतिपादित हो गया है। इस कारण न्यायालय ने सरकारी वकील की सहमति पर निलम्बन आदेश रद्द कर दिया । न्यायालय ने कहा कि अधिकारी कानून के मुताबिक नये सिरे से विचार कर आदेश पारित कर सकते हैं ।
मामले के अनुसार याची इन्सपेक्टर पर आरोप था कि डाक्टर के अपहरण के मामले में प्रकरण संज्ञान में आने के बाद भी संज्ञेय अपराध में मुकदमा पंजीकृत नहीं किया तथा उनके इस लापरवाही के चलते पुलिस की छवि धूमिल हुई । मथुरा के डाक्टर निर्विकल्प अग्रवाल का 10 दिसम्बर 2019 को अपहरण कर लिया गया था तथा 52 लाख की फिरौती लेकर छोड़ा गया । डर के मारे इस घटना की पुलिस को सूचना नहीं दी गयी । काफी समय पहले डाक्टर के माता-पिता की हत्या कर दी गयी थी, जिसके कारण डाक्टर ने मुकदमा नहीं लिखाया । याची इन्सपेक्टर ने स्वयं ही जानकारी मिलने पर 11 फरवरी 2020 को थाना- हाईवे, मथुरा में शिकायतकर्ता के रूप में चार अभियुक्तों के खिलाफ केस लिखवाया । कहा गया था कि याची ने ईमानदारी से काम किया और केस वर्कआउट करके डाक्टर को अपहर्ताओ से छुडाया तथा दो अपराधी सनी मलिक व नितेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया ।
सं भंडारी
वार्ता
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