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राजा मान सिंह हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मी दोषी करार

मथुरा, 21 जुलाई (वार्ता) उत्तर प्रदेश में मथुरा के जिला न्यायाधीश साधना ठाकुर ने 35 साल से लम्बित पड़े राजा मानसिंह हत्याकांड वाद में राजस्थान के भरतपुर में डीग क्षेत्र के तत्कालीन श्रेत्राधिकारी( सीओ) कानसिंह भाटी एवं डीग थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह समेत 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है।
अदालत ने पुलिसकमिर्यों को उन्हें बुधवार को अदालत में पेश करने का आदेश दिया है।
अदालत के इस फैंसले से राजा मानसिंह की बेटी दीपा बहुत अधिक खुश हैं। उनका कहना था कि यद्यपि उन्हें 35 साल के बाद न्याय मिला है पर वे इससे प्रसन्न हैं। सात बार विधायक एवं एक बार सांसद रह चुकी दीपा ने इस मामले में शुरू से ही जबर्दस्त पैरवी की थी। वे ऐसे समय भी पैरवी कर रही थीं जब कि राजस्थान का पुलिस प्रशासन खिलाफ था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 20 फरवरी 1985 को कांग्रेस प्रत्याशी रिटायर्ड आईएएस ब्रजेन्द्र सिंह के चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के लिए बनाए गए सभा मंच को निर्दलीय प्रत्याशी राजा मानसिंह ने अपने वेपन कैरियर से तोड़ दिया था । उन्होंने बाद में मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर भी क्षतिग्रस्त कर दिया था। वे संभवतः अपने चुनाव प्रचार सामग्री के क्षतिग्रस्त करने से नाराज थे। मौके पर मौजूद पुलिस ने उस दिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही की। अगले दिन जब राजा मानसिंह अनाज मंडी डीग में चुनाव प्रचार के लिए गए तो किसी अनहोनी की आशंका से लगभग तीन दर्जन से अधिक पुलिस और आरएसी के जवान तैनात थे। इस बीच सीओ डीग कानसिह भाटी के नेतृत्व में डीग थाने के दरोगा वीरेन्द्र सिंह के साथ पहुंच गए। वहां विवाद के बाद मुठभेड़ में राजा मानसिह व उनके साथी सुमेर सिंह व हरि सिंह घायल हो गए। उन्हें भरतपुर के अस्पताल में ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उन्हे मृत घोषित किया।
घटना के समय राजा मानसिंह की गाड़ी में मौजूद राजा के दामाद विजय सिंह और उसके तीन अन्य साथियों को पुलिस ने धारा 307 आईपीसी के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया। उसी रात विजय सिंह को विश्वेन्द्र सिंह की जमानत एवं निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। इसी क्रम में दो दिन बाद विजय सिंह ने पुलिसवालों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई। बाद में हुई सीबीआई जांच में 18 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। मुकदमे के दौरान एक व्यक्ति को अदालत ने बरी कर दिया जब कि तीन की मृत्यु हो गई। 14 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चला।
विजय सिंह की ओर से प्राइवेट अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने बताया कि न्यायाधीन ने तीन आरोपियों हरिकिशन, गोविन्द एवं कानसिंह को धारा 218 आईपीसी के चार्ज से मुक्त कर दिया। उन पर दोषियों को बचाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप था। उन्होंने सीओ कानसिंह भाटी समेत 11 अभियुक्तेां केा बुधवार को अदालत के सामने पेश करने का आदेश दिया है तभी उनकी सजा सुनाई जाएगी।
सं भंडारी
वार्ता
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