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सुलतानपुर में भूमि पूजन में शहीद कारसेवक के परिजनों को न बुलाने का मलाल

सुलतानपुर, 03अगस्त (वार्ता) अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अपनी प्राणों की आहुति देने वाले सुलतानपुर के राम बहादुर वर्मा के परिजनों को भूमि पूजन में न बुलाये जाने का मलाल तो है, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी थी कि शहादत के 30 साल बाद राम बहादुर का सपना पूरा हो रहा हैं।
गौरतलब है कि 30 अक्टूबर 1990 में कारसेवा के दौरान सरतेजपुर गांव से राम बहादुर वर्मा भी अपने कुछ साथियों के साथ अयोध्या पँहुच गए थे। उस दौरान वहां बेकाबू भीड़ पर गोलियां बरसाई गई थी। 30 अक्टूबर 1990 को कोठारी बन्धुओं के साथ राम बहादुर वर्मा भी थे। इसी दौरान उनके शरीर पर कई गोलियां लगी थी। एक गोली उनके सिर पर भी लगी थी। गम्भीर हालत में उन्हें अयोध्या के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। चार दिन बाद जब घरवालों को जानकारी मिली तो उनका 22 वर्षीय बेटा काली सहाय भी अस्पताल जाकर पिता की देखभाल में जुट गया। 12 दिनों तक उनका इलाज अयोध्या के अस्पताल में चलता रहा। तबियत में सुधार न होने पर चिकित्सकों ने उन्हें लखनऊ मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। लखनऊ में धीरे -धीरे उनकी तबियत सुधरने लगी। तीन जनवरी 1991 को उनको अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाना था, लेकिन उसी दिन अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
उनकी स्मृति में सरतेजपुर गांव में उनके घर से करीब 200 मीटर की दूरी पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उसी स्थान पर उनकी मूर्ति लगाकर स्मारक भी बनाया गया। इसका अनावरण पूर्व मंत्री अनिल तिवारी व सांसद विनय कटियार ने किया था। गांव वालों ने आपस मे चंदा जुटाकर स्मारक के पास हनुमान मंदिर का निर्माण कराया है। राम बहादुर वर्मा की मूर्ति के चारो तरफ गुम्बदाकार निर्माण लोगों के सहयोग से कराया गया है। हालांकि अभी रंग रोगन नहीं हो सका है। उनके बेटे पांच अगस्त के पहले उसे दुरुस्त कराने में जुटे हैं। बड़े बेटे काली सहाय वर्मा ने बताया कि जनप्रतिनिधि उनके परिवार वालों की सुधि नही लेते।
पांच फरवरी सन 1948 को पैदा हुए राम बहादुर वर्मा बचपन से ही प्रभु श्रीराम और हनुमान जी के भक्त थे। गांव के बुजुर्ग दयाशंकर तिवारी उनके बारे में बताते हैं कि राम बहादुर वर्मा कम उम्र से ही हर मंगलवार को विजेथुआ महावीरन धाम दर्शन को जाते थे। अयोध्या के हनुमान गढ़ी में भी उनका आना जाना लगा रहता था। प्रति वर्ष भंडारे का आयोजन किया करते थे। राम मंदिर निर्माण आंदोलन में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर अतुलनीय भूमिका निभाई।
अब जब आगामी पांच अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में होने वाले भव्य राम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन होने जा रहा है तो उन्हें शायद भुला दिया गया है। ऐसे में अयोध्या न बुलाए जाने का मलाल कारसेवा में जान गवाने वाले राम बहादुर के बेटों व भाई को है। राम बहादुर के दिव्यांग बेटे काली सहाय वर्मा ने रुंधे गले से कहा कि अयोध्या में भूमिपूजन में उन्हें व परिवार के किसी सदस्य को नही बुलाया गया है। इसका मलाल है। उनका कहना है कि जिले के जनप्रतिनिधियों को इसको लेकर पार्टी नेतृत्व से बात करनी चाहिए थी। स्मारक के पास मौजूद गांव के दयाशंकर तिवारी, शिवनाथ मिश्रा सहित अनेक लोगो का कहना है कि राम बहादुर वर्मा ने मंदिर निर्माण के लिए अपनी जान गंवा दी। भूमिपूजन में अयोध्या उनके परिवार वालों को बुलाया जाना था।
सं भंडारी
वार्ता
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