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राष्ट्रीय बांग्लादेश पानी तीन अंतिम गोरखपुर

विशेष वक्ता के रूप में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात के अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति केन्द्र के अध्यक्ष प्रो.मनीष ने कहा कि कोविड काल में वैश्विक गवर्नेन्स की असफलता का संकेत मिला है इसके लिए प्रत्येक देश को अपने राष्ट्रीय हितों की लड़ाई खुद लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि श्री मोदी के आने के बाद विदेशनीति एवं पड़ोस नीति में व्यापक बदलाव देखा गया। सार्क को मजबूत करने के साथ-साथ विम्सटेक को भी आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया किन्तु सार्क की गतिविधियां पड़ोसी देशों की निष्क्रियता के कारण आगे नहीं बढ़ पायी।
उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय रूप से अगर देखा जाय तो यह महसूस होता है कि भारत बांग्लादेश के बीच के सम्बन्ध इसके जन्म के साथ ही जुड़े है। यह सम्बन्ध मुजीर्बुरहमान के समय से ही चले आ रहे है। उन्होंने कहा कि मौलाना मसूद अजहर का घुसपैठ बांग्लादेश के माध्यम से हुआ था और इस दौरान दोनों देशों के बीच सम्बन्धों का उतार-चढ़ाव दिख रहा था। कालान्तर में आर्थिक प्रभावों के बढ़ने के कारण दोनों देशों के बीच सम्बन्ध वर्तमान में बहुत अच्छे है।भू-सीमा समझौता हो, या सीमा सुरक्षा से सम्बन्धित मामला दोनों देशों ने अपनी राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया।पानी कितनी मात्रा में वितरित किया जाय यह दोनों देशों के बीच विवाद की बड़ी वजह है क्योंकि तीस्ता नदी में पानी की मात्रा जिस प्रकार घट रही है वह दोनों देशों के कृषि कार्यो के लिए अपर्याप्त है।
प्रो. मनीष ने कहा कि भारत बांग्लादेश के बीच उत्तर पूर्व का मुद्दा काफी ज्वलंत हैं, जिसमें सीमा पर घुसपैठ से लेकर अवैध प्रवासियों का मामला महत्वपूर्ण है।बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति भारत के लिए सुकूनदेह और सकारात्मकता भरी है क्योंकि भारत, बांग्लादेश की प्रगति से खुद को जोड़कर देखता है।मोटर वाहन समझौता, ऊर्जा इत्यादि क्षेत्रों में बांग्लादेश के साथ भारत के आगे बढ़ने की काफी सम्भावनायें है।चीन, ढाका पर भी अपना व्यापारिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ाकर उसे अपनी तरफ खींचना चाहता है, ताकि भारतीय विकास प्रक्रिया को उसके पड़ोस से ही चुनौती मिल सके।
विषय की प्रस्ताविकी रखते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के प्रो. तेज प्रताप सिंह ने कहा कि भारत बांग्लादेश की साझी संस्कृति है। बांग्लादेश से भारत की बड़ी सीमा लगती है।उत्तर पूर्व के भारतीय प्रदेश बांग्लादेश से अपनी काफी निकटता महसूस करते हैं। बांग्लादेश की आर्थिक समृद्धि विकास तथा मानव विकास सूचकांक की प्रगति से भारत को अपने इस पड़ोस पर गर्व की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि कुछ जटिलताएं दोनों देशों के बीच में आ जाती हैं किन्तु संवाद के माध्यम से तथा राजनयिक प्रयासों से उसे सुलझा लिया जाता है। चीन का पड़ोसी देशों में बढ़ता प्रभाव भारत बांग्लादेश सम्बन्धों में भी तनाव पैदा करता है मगर उसका समाधान कालान्तर में कर लिया जाएगा।
उदय प्रदीप
वार्ता
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