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मथुरा में सप्तकोशी परिक्रमा में अधिक भीड़ होने की संभावना

मथुरा 16 सितम्बर (वार्ता)कोरोना वायरस संक्रमण के बावजूद अधिक मास के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मथुरा में गोवर्धन में लगने वाले मेल में गिरि गोवर्धन की सप्तकोसी परिक्रमा में भीड़ होनेकी संभावना है।
लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद पितृपक्ष के बाद ही 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो रहा है जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। तीन वर्ष पहले हुए अधिक मास मेले मेें लगभग ढाई करोड़ से अधिक लोगों ने गिरिराज जी की सप्तकोसी परिक्रमा की थी। तब अधिक मास जेष्ठ के माह में पड़ा था। इस बार गर्मी कम होने के कारण तथा कोरोना वायरस संक्रमण के प्रतिबंधों के कारण परिक्रमा बंद होने से इस मेले में परिक्रमार्थियों का हजूम उमड़ सकता है। इस बार का मेला इसलिए भी अनूठा है कि लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद अधिक मास मेला पितृ पक्ष के तुरन्त बाद ही शुरू हो रहा है।
दानघाटी मंदिर गोवर्धन के सेवायत आचार्य एवं ज्येातिषाचार्य महेश कुमार शर्मा ने गुरूवारको यहां बताया कि मलमास का संबंध ग्रहों की चाल से है। इसका आधार सूर्य और चन्द्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है जब कि चन्द्र वर्ष 354 दिन का माना जाता है। इन दोनों के बीच 11 दिन का अन्तर होता है। तिथियों के घट बढ़ जाने के बाद यही अन्तर तीन साल में एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अन्तर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चन्द्रमास आता है जिसे मलमास कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि मलमास के स्वामी श्रीकृष्ण हैं इसीलिए मलमास में गोवर्धन की परिक्रमा करने का बहुत अधिक महत्व है। इस संबंध में एक पौराणिक दृष्टांत का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि अपनी उपेक्षा से दुःखी होकर मलमास भगवान विष्णु के पास गया और कहा कि जहां अन्य मास के अलग अलग स्वामी हैं वहीं उसका स्वामी कोई नही है जिसके कारण उसका निरादर किया जाता है तथा शुभ कार्यों से उसे निषिद्ध कर दिया गया है। इस प्रकार के विलाप से द्रवित होकर भगवान विष्णु गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण पास उसे लेकर आए और उन्हें न केवल उसकी पीड़ा बताई बल्कि उनसे मलमास को स्वीकार करने के लिए भी कहा। इसके बाद श्रीकृष्ण ने न केवल उसे स्वीकार किया बल्कि उसका नाम पुरूषेात्तम मास दिया और कहा कि उनकी समानता पाने के कारण ही यह मास सभी महीनों में श्रेष्ठ होगा। इस माह में जो लोग धार्मिक कार्य नही करेंगे वे कुंभीपाक नर्क में जाएंगे । जो पुरूषोत्तम मास में भक्तिपूर्वक पूजन अर्चन करेगा वह सम्पत्ति, पुत्र आदि का सुख भोगता हुआ गोलोकधाम को प्राप्त करेगा तथा उसे मोक्ष प्राप्त होगा।
अधिक मास के बारे में मशहूर भागवताचार्य रसिक बिहारी विभू महराज ने बताया कि अधिक मास को भगवान श्यामसुन्दर ने स्वीकार किया है इसलिए इस माह में कोरोनावायरस की दवा की खोज पूरी हो सकती है। भगवान
श्यामसुन्दर का मास होने के कारण अधिक मास में श्रीमदभागवत का श्रवण बहुत अधिक फलदाई होता है। उन्होंने बताया कि वैसे भी श्रीमदभागवत भगवान श्यामसुन्दर के मुख से निकली वाणी है। इसलिए अधिक मास में इसका श्रवण करने से सात जन्म के पाप कट जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसी मास में नरसिंह अवतार हुआ था तथा भागवत के अनुसार भक्त प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति का आशीर्वाद मिला था। उनका कहना था कि इस मास में किये गये पुण्य, दान आदि शुभ कार्य का फल सामान्य समय में किये कार्य का सौ गुना मिलता है।दान के महत्व के कारण ही इस मास में गोवर्धन की परिक्रमा में भंडारे और प्याऊ लगाने की होड़ लग जाती है।उन्होने बताया कि अथर्ववेद में इस मास को भगवान का घर बताया गया है।इस माह में जो व्यक्ति वृत , पूजा और उपासना करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।इस मास में पुरूषोत्तम महात्म्य का पाठ भी फलदाई है।
ब्रज के अधिकांश मन्दिर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की दिशा में भक्तों के लिए बन्द हैं लेकिन गोवर्धन में दानघाटी मन्दिर को छोड़कर शेष मन्दिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। प्रशासन ने अभी अधिक मास में गोवर्धन में लगने वाले मेले और परिक्रमा के बारे अपने पत्ते नही खोले हैं। यदि परिक्रमा में रोक नही होती है तो सामाजिक दूरी बनाने एवं मास्क लगाने के आदेश की धज्जियां उड़ना लाजमी है।
सं भंडारी
वार्ता
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