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जजों की कालोनी की जमीन से अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण का आदेश वैध

प्रयागराज 17 सितंबर (वार्ता) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के 19 क्लाइव रोड स्थित जमीन पर अवैध कब्जे के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका खारिज कर दी तथा कहा कि याची को भूमि के एक हिस्से पर बने रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने शिव कुमार पाण्डेय की याचिका पर दिया । कोर्ट ने कहा है कि नजूल भूमि 19 क्लाइव रोड को 25 जुलाई 1949 को राज्य सरकार ने अमृत बाजार पत्रिका कंपनी को 50 साल की लीज पर दिया था। लीज शर्तो का उल्लंघन कर कंपनी ने भूमि यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया को लोन के एवज में बंधक रख दी । कंपनी ने लोन अदा नही किया तो बैक ने दावा कर जमीन अपने नाम कर ली।
इस फैसले को राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। उच्चतम न्यायालय ने बंधन को लीज शर्तो के विपरीत होने के कारण अवैध करार दिया। राज्य सरकार ने जमीन वापस ले ली और इलाहाबाद हाईकोर्ट को न्यायाधीशों के आवासीय भवन निर्माण के लिए सौप दी ।
याची का कहना था कि उनके पिता पत्रिका में कर्मचारी थे । साल 1955-56 मे इसी जमीन में 100 वर्ग गज जमीन रहने के लिए दी गयी थी । जिस पर वह टीनशेड के दो कमरों में निवास कर रहा था। प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने बिना सुनवाई का मौका दिये उसके आवास को अवैध बताते हुए ध्वस्त कर दिया । याचिका में निर्माण वापसी सहित मुआवजा दिलाये जाने की मांग की गयी थी।
कोर्ट ने कहा कि लीज कंपनी के नाम थी, याची के नाम नही थी। कंपनी लीज शर्तो के विपरीत याची को अधिकार नही दे सकती थी । जमीन सरकार ने वापस ले ली है। जिसे कोर्ट ने वैध माना है। इसलिए ध्वस्तीकरण कार्यवाही विधि विरूद्ध नही है।
सं विनोद
वार्ता
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