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उत्तर प्रदेश-आनंदीबेन महिला दो लखनऊ

राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारियाँ ही नहीं होती है। महिलाओं को अपने क्षेत्र के थानों एवं स्थानीय अधिकारियों का भी पता नहीं होता है। जब महिलाएं एवं बेटियाँ पुलिस और थाने से डरेंगी तो सुरक्षा की भावना कैसे विकसित होगी। पुलिस एवं अन्य विभाग के अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में जाकर महिलाओं, विद्यालय की छात्राओं एवं शिक्षिकाओं तथा स्वयं सेवी महिला सगठनों से मिलकर महिलाओं के कल्याणार्थ चलायी जा रही योजनाओं एवं उनके अधिकारों की जानकारी देनी चाहिए, तब सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे। यह समाज के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है। संकुचित विचारधारा का त्याग किजिये। उन्होंने कहा कि सभी को महिलाओं की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर चर्चा करनी चाहिए।
श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों का दायित्व केवल प्रवेश, शिक्षण, परीक्षा एवं परिणाम तक सीमित नहीं होना चाहिए। बेटियों सुरक्षित हैं कि नहीं, उन्हें अधिकारों की जानकारी है या नहीं, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए। छात्राओं को उनके स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा, पोषण, आत्मनिर्भरता, विवाह पश्चात स्वयं एवं परिवार के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्राओं एवं बच्चों को थानों में भी बुलाया जाये और उन्हें आवश्यक जानकारियों तथा विषम परिस्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाये।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग के सभी स्तर के अधिकारियों का समय-समय पर प्रशिक्षण होना चाहिए। अद्यतन ज्ञान एवं कुशलता से पूर्ण होने पर ही वांछित परिणाम मिलेंगे। प्रदेश को अपराध एवं भयमुक्त करने के लिये जो लक्ष्य आपने निर्धारित किये हैं वह प्राप्त करने होंगे। आपके क्षेत्र में कोई घटना न हो, ऐसा संकल्प प्रत्येक पुलिसकर्मी को लेना होगा। उन्होंने कहा कि साधनों का सदुपयोग समाज एवं जनता के हित में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि
इस मौके पर महिला कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने कहा कि संविधान में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिला है। समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव जागृत करें। हमें बेटा और बेटी का अंतर मिटाना होगा। हमें अपने बेटों को बेटी का सम्मान करने की शिक्षा देना होगी। लड़की को बेटी,बहन, माँ एवं पत्नी के रूप में केटेगराइज न/न कर, सभी का सम्मान करें। ऐसा करके ही हम महिलाओं के विरूद्ध घटित होने वाले अपराधों को जड़ से समाप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि नारी त्याग, करूणा, प्रेम और दया का प्रतिरूप होती है। जब नारी के स्तीत्व की बात आती है तो नारी अनुसइया, जब पतिव्रत की बात आती है तो नारी सावित्री, जब त्याग की बात आती है तो पन्नाधाय और जब कर्तव्य की बात आती है तो नारी लक्ष्मीबाई के रूप में हमारे सामने होती है।
त्यागी
जारी वार्ता
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