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उप्र में गत वर्ष की तुलना में पराली जलाए जाने की घटनाओं में कमी:चतुर्वेदी

लखनऊ,22 अक्टूबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में गत वर्ष 2019-20 की तुलना में इस साल फसल अवशेष आदि जलाए जाने की घटना में कमी आई है।
राज्य के कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ0 देवेश चतुर्वेदी नेे आज यहां बताया कि प्रदेश में 20 अक्टूबर तक सेटेलाइट के माध्यम से प्राप्त इमेज के अनुसार इस वर्ष फसल अवशेष जलाए जाने की 419 घटनाएं प्रकाश में आई हैं जबकि वर्ष 2019-20 में इसी अवधि में 506 घटनाएं हुईं थी। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष की घटनाओं को शून्य या न्यून किए जाने के लिए सभी जिलो को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के 31 जिलो में बायो डीकंपोजर पहुंचाया जा रहा है, जिसे किसानों के मध्य निशुल्क वितरित किया जाएगा। इससे किसान फसल अवशेष को खेत में ही सड़ाकर खाद बना सकेंगे। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं कि गांव में बैठकें की जाए तथा प्रचार-प्रसार वाहन के माध्यम से भी लोगों को उच्चतम न्यायालय के आदेश तथा दंड के प्रावधान के बारे में अवगत कराया जाए। इसके अतिरिक्त डुगडुगी पिटवा कर मुनादी भी कराई जाए।
डॉ0 चतुर्वेदी ने गौशालाओं में पराली भेजने की प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में विशेष ध्यान देकर पराली गौशालाओं में भिजवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि अभी तक अलीगढ़ में मात्र 9920 टन, मथुरा में 8000 टन, मेरठ में 800 टन, शाहजहांपुर में 395 टन, पीलीभीत में 137 टन, हापुड़ में 116 टन व श्रावस्ती में 110 पराली गौशालाओं को भेजी गई हैं।
त्यागी
वार्ता
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