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उत्तर प्रदेश-योगी कोविड दो अंतिम लखनऊ

श्री योगी ने कहा कि कोरोना काल खण्ड में भी प्रदेश सरकार ने विकास की गति को सतत बनाये रखा है। पहले काफी लोग इन्सेफेलाइटिस से काल कवलित हो जाया करते थे। वर्तमान राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ स्वच्छता व शुद्ध पेयजल के लिए किये गये कार्याें से इन आकड़ों में चमत्कारी परिवर्तन देखने को मिला है।
उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक सतर्कता और बचाव ही इसका उपचार है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर पूरे विश्व में शोध कार्य चल रहा है। देश में हो रहे शोधों से सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। प्लाज्मा थेरेपी के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। इसलिए इसे प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व, कोरोना प्लाज्मा दान पर केन्द्रित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी।
इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में कोरोना को रोकने की एक कारगर कार्ययोजना तैयार की गयी, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी की है। चिकित्सा के क्षेत्र में आज का दिन एक मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव आर के तिवारी, अपर मुख्य सचिव एम0एस0एम0ई0 एवं सूचना नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डाॅ0 रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद, सचिव मुख्यमंत्री आलोक कुमार, सचिव चिकित्सा शिक्षा अमित गुप्ता, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित चिकित्सा जगत से जुड़े अन्य वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे।
गौरतलब है कि प्रदेश में सरकारी क्षेत्र की 258 लैब तथा निजी क्षेत्र की 132 लैब के साथ कुल 390 लैब उपलब्ध हैं। प्रदेश में उपचार की इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए एफेरेसिस सुविधा का उद्घाटन किया गया है। एफेरेसिस प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है, जिसमें कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के शरीर से प्लाज्मा एफेरेसिस विधि द्वारा एण्टीबाॅडी निकालकर गम्भीर कोरोना मरीजों को चढ़ाई जाती है।
प्लाज्मा एफेरेसिस की प्रक्रिया केवल एफेरेसिस मशीन द्वारा ही सम्भव है। इस मशीन द्वारा कोरोना संक्रमण से ठीक हुए प्लाज्मा दाताओं की एण्टीबाॅडी सुरक्षित रूप से निकालकर कोरोना संक्रमित मरीजों हेतु दी जाती है। यह कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन सकती है। इसके साथ-साथ एफेरेसिस मशीन द्वारा प्लेटलेट्स एफेरेसिस भी किया जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा डेंगू के गम्भीर मरीजों हेतु आवश्यक प्लेटलेट्स उचित मात्रा में एवं सुरक्षित रूप से निकाली जाती है, जिससे कि मरीजों की जान बचायी जा सके। इसे सिंगल डोनर प्लेटलेट्स भी कहते है, जो कि एफेरेसिस मशीन द्वारा ही सम्भव है।
त्यागी
वार्ता
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