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राजनीति- मोदी किसान तीन अंतिम वाराणसी

वाराणसी के प्रभारी मंत्री श्री टंडन ने कहा कि पीएम कुसुम योजनान्तर्गत 3 एचपी एवम् 5 एचपी के एसी एवम् डीसी के सोलर फोटोवोल्टिक पम्प पर 60 प्रतिशत एवम् 50 प्रतिशत अनुदान देय है। शेष धनराशि कृषक अंश के रूप में कृषकों द्वारा वहन किया जाता है। प्रमाणित बीज वितरण योजनान्तर्गत कृषकों द्वारा क्रय किये बीजों पर 50 प्रतिशत अनुदान की धनराशि कृषकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से सीधे भेजे जाते हैं। परम्परागत कृषि विकास योजना एवं नमामि गंगे योजना का संचालन जैविक खेती को बढ़ाना है तथा रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के प्रयोग को कम करना तथा भूमि में जीवांश की मात्रा को बढाना है। जिसके लिए जिले के सभी विकास खण्डों में 1226 जैविक क्लस्टरों का गठन लक्ष्य प्रस्तावित है। जिस पर कार्य कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत कृषकों को कृषि में होने वाले आपदाओं से क्षतिपूर्ति हेतु बीमा कराया जाता है। जिसमे ऋणी एवं गैर ऋणी कृषक अपनी इच्छानुसार बीमा करा सकते है। जिसके लिए खरीफ में 2 प्रतिशत एवं रबी में 1.5 प्रतिशत की दर से बीमित अंश जमा किया जाता है। खरीफ में 31 जुलाई तथा रबी में 31 दिसम्बर तक बीमा कराने की अंतिम तिथि निर्धारित है। किसान केडिट कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य बुवाई से पूर्व कृषि निवेशों की व्यवस्था हेतु जोत के आधार पर जनपद द्वारा निर्धारित फसल उत्पादन के मानक (स्केल आफ फाइनेंस) धनराशि के आधार पर बोई जाने वाली फसलों के अनुसार किसान केडिट कार्ड की सीमा निर्धारित की जाती है। वर्ष में खरीफ एवम् रबी में सुविधा देय है। एक वर्ष के अन्दर प्राप्त ऋण का भुगतान करने पर ब्याज दर में 3 प्रतिशत की छूट का भी प्राविधान है। इसी प्रकार किसान भाइयों के लिए जनपद में औद्यानिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एकीकृत बागवानी विकास मिशन एवं मुख्यमंत्री फलोद्यान योजना (मनरेगा से वित्त पोषित) कियान्वित है, जिसके अन्तर्गत 208.00 हे0 क्षेत्रफल में आम, अमरूद, केला, पपीता, नींबू प्रजाति के पौधो का रोपण 743 कृषकों के प्रक्षेत्र पर कराया गया तथा रुपये 53.06 लाख अनुदान की धनराशि लाभार्थियों के खातें में डीबीटी के माध्यम से अन्तरित करायी गयी।



श्री टंडन ने कहा कि मसाले की खेती को जिले में बढ़ावा देने हेतु 263.35 हे0 क्षेत्रफल में हल्दी, लहसुन, प्याज एवं धनिया की खेती 2726 कृषकों के यहां करायी गयी तथा रोपण सामग्री के रूप में लाभार्थियों को उपलब्ध कराया गया। पुष्प की खेती के अन्तर्गत 42.35 हे0 क्षेत्रफल में गेंदा एवं गुलाब पुष्प की खेती 247 कृषकों के यहाँ करायी गयी तथा रुपये 6.58 लाख अनुदान की धनराशि लाभार्थियों के खातें में डीबीटी के माध्यम से अन्तरित करायी गयी। मौन पालन के माध्यम से कृषकों के आय में बढ़ोत्तरी के साथ उनके द्वारा उत्पादित फसलों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता की बढ़ोत्तरी हेतु मौन पालन के कार्य को जनपद में प्रोत्साहित किया गया, जिसके अन्तर्गत 990 मौन वंश 57 कृषकों के यहाँ स्थापित कराये गये तथा रुपये 15.84 लाख अनुदान की धनराशि लाभार्थियों के खातें में डीबीटी के माध्यम से अन्तरित करायी गयी।



उन्होंने कहा कि जल संचयन एवं जल संरक्षण के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तगर्गत 28.30 हे0 क्षेत्रफल में ड्रिप सिंचाई संयत्र एवं 951.40 हे0 क्षेत्रफल में स्प्रिंकलर सिंचाई संयत्र की स्थापना 977 कृषकों के प्रक्षेत्र पर करायी गयी तथा रुपये 185.58 लाख अनुदान की धनराशि लाभार्थियों के खातों में अन्तरित करायी गयी। औद्यानिक कार्य एव गुणवत्ता सुधार हेतु वर्ष 2020-21 में 1740 कृषकों को गुणवत्तायुक्त फल, शाकभाजी एवं पुष्प की खेती पर आधारित प्रशिक्षण,250 कृषकों को माइकोइरीगेशन पद्धति के माध्यम से जल संचयन एवं संरक्षण की तकनीकी पर आधारित प्रशिक्षण एवं 300 कृषकों को वैज्ञानिक विधि से मौन पालन आधारित प्रशिक्षण दिया गया इस प्रकार जिले में कुल 2290 कृषकों के कौशल विकास का कार्य भी किया गया। जनपद में 2755.00 हे0 क्षेत्रफल में फल एवं 10178.00 हे0 में शाकभाजी की खेती की जा रही है, जिसके सापेक्ष कमशः 57380.00 मी0टन फल एवं 262464.00 मीट्रीक टन शाकभाजी का उत्पादन हो रहा है। जिले में 5 फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी क्रियाशील है, जिसमे 98 ग्रामों के 3520 कृषक सदस्य है, जिनके द्वारा फल एवं शाकभाजी का उत्पादन किया जा रहा है। जनपद में स्थित जया सीडस फार्मर प्रोडयूसर कम्पनी द्वारा ताजा फल, शाकभाजी के निर्यात का भी लाइसेंस एपीडा से प्राप्त कर वर्ष 2020-21 से निर्यात प्रारम्भ किया जा रहा है। उ0प्र0 कृषि निर्यात नीति अधिसूचना द्वारा जनपद वाराणसी को फलों में आम हेतु एवं ताजी



उन्होंने कहा कि सब्जियों में हरी मिर्च, भिण्डी, लौकी, करैला, हरी मटर, परवल, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां इत्यादि के निर्यात हेतु चिन्हित किया गया है।



प्रभारी मंत्री ने कहा कि किसान भाइयों एवं पशुपालकों के लिए पशुपालन विभाग द्वारा जिले में निराश्रित गोवंश संरक्षण योजना अंतर्गत अब तक ग्रामीण तथा शहरी मिला कर कुल 9442 गौवंश संरक्षित किये गये हैं। जीवामृत आधारित खेती देशी गाय के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत बनाकर नीति अयोग द्वारा चयनित सेवापुरी विकास खण्ड में किसानों द्वारा खेती की जा रही है जिससे कृषि लागत कम तथा आय दूगनी करने में सफलता मिल रही है। कृषि विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है तथा किसानों को देशी गाय पालने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अन्तर्गत देशी गायों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु गंगा तीरी, साहिवाल तथा गीर नस्ल की उन्नत वीर्य (सीमेन) से देशी नस्ल की गायों में कृत्रिम गर्भाधान का कार्य चल रहा है। सार्टेड सेक्स सीमेन-सार्टेड सेक्स सीमेन से केवल बछिया पैदा करने की तकनीक वाराणसी जिले में प्रयोग किया गया है। इससे केवल बछिया पैदा होंगी। अतिरिक्त चारा विकास योजना अंतर्गत वाराणसी में 400 पशुपालकों का चयन कर निःशुल्क जयज

बीज तथा खाद उपलब्ध कराया गया ताकि पशुओं को पौष्टिक चारा उपलब्ध हो सके, इससे पशुओं में उत्पादकता अधिक होगी तथा बांझपन कम होगा। रूरल बैकयार्ड पोल्ट्री योजनान्तर्गत नीति आयोग विकास खण्ड सेवापुरी में 100 अनुसूचित जाति महिला लाभार्थियों का चयन कर प्रशिक्षण दिया गया है शीघ्र ही 50 चूजें, दाना, दवा आदि का वितरण किया जायेगा, जिससे कुपोषण दूर करने में सहायता मिलेगी।



उन्होंने कहा कि अतिकुपोषित बच्चों के 25 परिवारों को विभिन्न गौआश्रय स्थलों से दूध देने वाली गायों का वितरण किया गया है, ताकि बच्चों का कुपोषण दूर किया जा सके तथा रुपये 900/-गाय के भरण- पोषण हेतु परिवारों को धन उपलब्ध कराया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत पशुधन प्रक्षेत्र शहंशाहपुर में नगर निगम द्वारा बायो -गैस सयंत्र का स्थापना किया जा रहा है, जिसमें पशुधन प्रक्षेत्र, नगर निगम द्वारा संरक्षित निराश्रित गौवंश का गोबर प्रयोग किया जायेगा साथ ही शंहशाहपुर के निकट के गावों के ग्रामीणों द्वारा संरक्षित गौवंश के गोबर को इकट्ठा कर सयंत्र को चलाया जायेगा, जिससे ग्रामीण पशुपालकों के आमदनी में वृद्धि होगी। क्रेडिट कार्ड के माध्यम से जनपद के लगभग 9740 पशुपालकों को लाभान्वित किया जा रहा है। बैंक द्वारा प्राप्त ऋण से पशुओं के रख-रखाव ठीक से किया जायेगा तथा दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि होगी, इससे किसान की आय में वृद्धि होगी। कृषक भाइयों एवं मत्स्य पालकों के लिए मत्स्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना वर्ष 2020-21 से प्रारम्भ की गयी है। योजनान्तर्गत वर्ष 2020-21 के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तग्गत जनपद से रुपये 479.60 लाख की कार्य योजना स्वीकृति हेतु प्रेषित की गयी है।



उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 हेतु विभिन्न कार्यक्रमों हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र विभागीय पोर्टल पर प्राप्त किये जा रहे है। आवेदन करने की अन्तिम तिथि 31 दिसम्बर, 2020 है। इसमें सर्वप्रथम आवेदक को विभागीय पोर्टल http://fymis. upsdc.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जिसके लिए आवेदन के साथ स्वयं का पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, रुपये 100.00 के स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र एवं निजी भूमि की खतौनी पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। योजनान्तर्गंत सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति/जनजाति व महिला लाभार्थियों को परियोजना लागत का 60 प्रतिशत देय है। परियोजना की शेष धनराशि लाभार्थी को स्वयं वहन करना होगा। व्यक्तिगत लाभार्थी अधिकतम 2.00 हेक्टेयर सीमा तक लाभ प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा किसान भाइयों के लिए कृषि विभाग द्वारा अन्य अनेकों कल्याणकारी एवं लाभकारी योजनाएं संचालित हैं। जिसमे ग्राम सभा के तालाबों का पट्टा सम्बन्धित तहसील के माध्यम से कराने में सहयोग। मत्स्य पालकों को सरकारी दर पर मत्स्य बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराना। पट्टे के तालाब/निजी तालाब में प्रथम वर्ष मत्स्य पालन हेतु बैंकों के माध्यम से किसान केडिट कार्ड की सुविधा प्रदान कराना। अब तक 180 आवेदन पत्र बैंकों को प्रेषित कराते हुए 60 के0सी0सी0 जारी कराये गये है। मत्स्य पालकों/मत्स्य विकेता/मत्स्य व्यवसायी तथा मत्स्य गतिविधियों से जुड़े व्यक्तियों का निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा में आच्छादन कराया जाता है। इसमें मत्स्य पालक को कोई प्रीमियम देय नही होता है। विभागीय तालाबों का निस्तारण/ठेका 10 वर्षों के लिए ई-टेण्डर/टेण्डर के माध्यम से कराया जाता है। गत वर्ष 2019-20 में कृषि विभाग द्वारा जिले में नीली कान्ति योजनान्तर्गत कुल 24 लाभार्थियों को तालाब सुधार, तालाब निर्माण, प्रथम वर्ष मत्स्य निवेश, मोटर साइकिल विथ आइस बाक्स से लाभान्वित कराते हुए रू0 28.42 लाख अनुदान उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान कराया गया। राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत कुल 14 लाभार्थियों को तालाब सुधार/प्रथम वर्ष निवेश

एवं फिश सीड रियरिंग यूनिट निर्माण कार्य कराते हुए रुपये 23.00 लाख अनुदान उनके खाते में भेजे गये। ग्राम रमना में 20 एव सिंहवार में 22 मछुआ आवास निर्माण कराया गया।




बीरेंद्र विनोद वार्ता
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