राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Dec 25 2020 6:55PM राष्ट्रीय - सफारी पार्क गोद दो अंतिम इटावादूसरी ओर से कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह यादव ने कहा कि विश्व के मानचित्र पर इटावा का नाम रोशन करने वाली सफारी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हो रही है । लायन सफारी के जीवों के लिए बजट में कमी करना सरकार की शर्मनाक कार्यशैली है। राजनीतिक लड़ाई के नजरिए से इटावा को न देखकर कम से कम बेजुबान जानवरों पर से सहानुभूति रखनी चाहिए जबकि यहां के ही बब्बर शेर गोरखपुर में बन रहे चिड़ियाघर के लिए भेजे जाने हैं। यह भेदभाव सबका विकास का नारा खोखला साबित करता है। लगता है कि बजट का अभाव दिखाकर सफारी को निजी हाथों में तो सौंपने की तैयारी की जा रही है।समाजवादी पार्टी की चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष डा.आशीष दीक्षित ने बताया कि इटावा के लिए यह दुर्भाग्य का विषय है कि लायन सफारी जैसी विश्व प्रसिद्ध योजना जो इटावा के साथ उत्तर प्रदेश के लिए लाभकारी साबित हो सकती थी आज सरकार की उपेक्षा के कारण वन्य जीवों को गोद लेने की स्थिति तक पहुच गई है।उन्होने कहा कि सफारी के निर्माण के साथ सपा सरकार ने इटावा में होटल व्यवसाय पर्यटन और बढ़ते रोजगार का सपना देखा था,जो आज धूमिल है,सरकार वन्य जीवों को उपयुक्त भोजन और उनको संरक्षण देने की स्थिति मे भी नही है। हाल ही मे नन्हे सावको के आने से इटावा वासियों को बेहद खुशी का अनुभव हुआ था लेकिन सरकार द्वारा वन्य जीवों को गोद लेने की बात करना और जनपद वासियो से उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी उठाने की बात करना एक चिंतनीय प्रश्न है। सरकार को चाहिए कि इस महत्वपूर्ण परियोजना को राजनीति परिपेक्ष मैं न देख कर जनप्रयोगी योजना के रूप मे देखे,वही इटावा वासियो के लिए उत्तम होगा।सफारी प्रबंधन ने सफारी के वन्य जीवो को गोद लेने के लिए कुछ इस तरह की योजना तैयार की थी जिसमे कोई भी व्यक्ति प्रार्थना पत्र देकर आवेदन कर सकता था । शेर के लिए 4.01 लाख, तेंदुआ के लिए 1.55 लाख, भालू के लिए 1.60 लाख, हिरन व एंटी लोप के लिए 50 हजार रुपये रखे गए थे।सं विनोद वार्ता