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सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी पर रोक

प्रयागराज,29 जनवरी (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस को सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न करने के कानून का पालन करने के निर्देश के साथ मजिस्ट्रेट को भी गिरफ्तारी पर पुलिस रिपोर्ट पर संतुष्ट होने पर ही पुलिस रिमांड देने का आदेश दिया है।
न्यायालय ने पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41(1)बी व 41 ए की शर्तो का पालन करते हुए जरूरी होने पर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि अनावश्यक गिरफ्तारी की गयी तो गलती करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ अदालत के आदेश की अवहेलना करने की कार्रवाई की जायेगी।
न्यायालय ने पुलिस को व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं सामाजिक व्यवस्था के बीच बैलेंस कायम रखने का भी आदेश दिया है।
न्यायालय ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ,विधि सचिव व महानिबंधक को आदेश की प्रति व परिपत्र सभी पुलिस थानों के अनुपालनार्थ भेजने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति डा0 के जे ठाकर तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने एटा के विमल कुमार व तीन अन्य की याचिका पर दिया है। अदालत ने याची को अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी है।
गौरतलब है है कि याची की प्रियंका के साथ शादी तय हुई। रिंग सेरेमनी में साढे छह लाख दिया गया। इसके बाद क्रेटा कार की मांग पूरी करने पर शादी करने की शर्त लगायी गयी। जिस पर कोतवाली नगर ,एटा में 28 नवम्बर2020 को दहेज उत्पीड़न के आरोप में एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। पुलिस गिरफ्तारी के लिए याची के घर पर लगातार दबिश दे रही है।
याची का कहना था कि धारा 41(1)बी की शर्तो व उच्चतम न्यायालय के फैसलों के तहत बिना ठोस कारण के सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न करने पर रोक लगी है। इसके बावजूद पुलिस मामला दर्ज होते ही कानूनी उपबंधों की अवहेलना करते हुए गिरफ्तारी करने के लिए दबिश देने लगती है,जो कानून के विपरीत है।
इस धारा में आरोपी की हाजिरी की दो हफ्ते की नोटिस देने तथा साक्ष्य व पर्याप्त वजह होने पर ही गिरफ्तार करने का अधिकार है। सामान्यतया पुलिस सात साल से कम सजा वाले अपराध के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
न्यायालय ने मजिस्ट्रेटो को भी रूटीन रिमांड न देने का निर्देश जारी करते हुए कहा है कि बिना ठोस कारण के पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार करने की रिपोर्ट जिला एवं सत्र न्यायाधीश के मार्फत महानिबंधक को भेजे ताकि मनमानी करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
अदालत ने कहा कि जिला न्यायाधीश को प्रशासन के साथ मासिक बैठक मे इसकी जानकारी दी जाय।
न्यायालय ने सात साल से कम सजा वाले अपराधों के आरोपियों की उच्च न्यायालय में लगातार गिरफ्तारी पर रोक की माग मे आ रही याचिकाओं को दुखःद बताया और कहा कि गंभीर अपराधो के सिवाय बिना ठोस वजह के आरोपियों की रूटीन गिरफ्तारी न की जाय। पुलिस अभियुक्त की गिरफ्तारी की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करे और मजिस्ट्रेट संतुष्ट होने पर ही पुलिस रिमांड देने का निर्देश जारी करे। इस आदेश का कड़ाई से पालन किया जाय।
सं त्यागी
वार्ता
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