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पीएफआई के रऊफ शरीफ को दो मार्च तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा

मथुरा,15 फरवरी (वार्ता) बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों को अस्वीकार करते हुए मथुरा के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) अनिल कुमार पाण्डे ने पापुलर फ्रन्ट आफ इण्डिया (पीएफआई) की विद्यार्थी शाखा के नेता रऊफ शरीफ को दो मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह के अनुसार दो मार्चा को रऊफ शरीफ को अतीकुर्ररहमान, मसूद, आलम एवं पत्रकार सिद्दीक कप्पन के साथ ही अदालत में पेश किया जाएगा। रऊफ शरीफ पर देशद्रोह और आई टी ऐक्ट की गंभीर धाराओं में पांच अक्टूबर 2020 को मथुरा जिले की मांट इलाके से पुलिस ने गिरफ्तार किए थे। गिरफ्तार आरोपियों में अतीकुर्रहमान, आलम, मसूद और पत्रकार सिद्दीक कप्पन को माहैाल बिगाड़ने,अशांति पैदा करने के लिए धनराशि बांटने का आरोप है। रऊफ शरीफ को केरल में एनफोर्समेन्ट डायरेक्टरेट द्वारा पैसा बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था तथा उस पर हाथरस में माहौल बिगाड़ने के लिए पैसा बांटने का आरोप है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता मधुबनदत्त चतुर्वेदी ने आज बहस में एसटीएफ की भूमिका पर ही गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत ने अपने एक फरवरी के आदेश में एर्नाकुलम जेल के अधिकारियों से जेल में बन्द रऊफ शरीफ को 16 फरवरी को अदालत के सामने पेश करने को कहा था, क्योंकि नियम यह है कि यदि कोई अभियुक्त एक से अधिक मामलों में जेल में बन्द होता है तो उसे जेल के अधिकारी ही अदालत के सामने पेश करते हैं,लेकिन इस मामले में एसटीएफ के डिप्टी एसपी वीरेन्द्र सिरोही ने अभियुक्त रऊफ शरीफ को अदालत में पेश किया। जिसके कारण एसटीएफ ने रऊफ शरीफ को हिरासत में लेना गैर कानूनी हो गया है।
उन्होंने एर्नाकुलम जेल के अधिकारियों से रऊफ शरीफ को ले लिया और उसे लाकर मथुरा की अदालत में पेश किया। उनका यह भी कहना था गैर कानूनी तरीके से किसी अभियुक्त को लेने को किसी भी अन्य आदेश से उचित नही ठहराया जा सकता। डनका यह भी कहना था कि एसटीएफ ने अभी तक अभियुक्त रऊफ शरीफ के खिलाफ सबूत इकट्ठा नही किये हैं इसलिए भी एसटीएफ बिना अदालती आदेश के अभियुक्त को अपनी हिरासत रखने का अधिकृत नहीं हो जाता है। उन्होंने अभियुक्त रऊफ शरीफ के वारन्ट आर्डर फार्म पर प्रश्नचिन्ह लगाया और कहा कि यह आर्डर फार्म नम्बर 36 में भेजा जाना चाहिए था जो नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि चूंकि अदालत ने उनकी महत्वपूर्ण दलीलों को अस्वीकार कर दिया है इसलिए वे अपने मुवक्किल को न्याय दिलाने के लिए अब उच्च न्यायालय जाएंगे।
सं त्यागी
वार्ता
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