Saturday, Apr 20 2024 | Time 21:15 Hrs(IST)
image
राज्य » उत्तर प्रदेश


वृन्दावन कुंभ के पहले शाही स्नान पर भक्ति रस की धार बही

मथुरा 27 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश में मथुरा के वृन्दावन कुंभ के प्रथम शाही स्नान के अवसर पर आज निकाली गई संतों की शाही पेशवाई से वृन्दावन का कोना कोना भक्ति रस में डूब गया ।
इस अवसर पर आज तीनो अनी अखाड़ो के महन्तों समेत परंपरागत वेशभूषा में हजारों संतो, महन्तों के साथ साथ देश के विभिन्न भागों से आए श्रद्धालुओं ने भी देवरहा घाट के संगम पर स्नान किया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने कहा कि शहर से गुजर रही पेशवाई तथा इस तीनो अनी अखाड़ों के महन्तों समेत हजारों संत महंतों के स्नान के दौरान किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नही रही। दिये गए निर्देशों के अनुकूल ही पुलिस ने कुंभ में आनेवाले संतों, महन्तों एवं सामान्यजन से बहुत ही सहृदयता से व्यवहार किया जिसके कारण संतों महन्तों ने उनसे पुलिस की प्रशंसा की।
उन्होंने बताया कि मेले में तैनात पुलिस को स्वयं सेवक की तरह से व्यवहार करने का प्रशिक्षण दिया गया है।डूबने की घटना को रोकने के लिए गोताखोरों की व्यवस्था की गई थी ।
उधर यमुना जल की निर्मलता में कमी पाए जाने पर तीनो अनी अखाड़ों के महन्तों ने आज नाराजगी व्यक्त कीं। दिगम्बर अनी अखाड़ा, निर्वाणी एवं निर्मोही अनी अखाड़ों की ओर से निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्री महन्त धर्मदास ने कहा कि प्रशासन ने यमुना में पर्याप्त गंगा जल छोड़ने और जल को निर्मल बनाने की बात कही थी किंतु ऐसा नही किया गया ।उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अगले शाही स्नान में यमुना का जल निर्मल नही मिला तो तीनो अनी अखाड़ों के साथ संत शाही स्नान नही करेंगे।
जनश्रुति के अनुसार देव और दानवों के संयुक्त प्रयास से सागर मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर जब गरूड जी उन स्थानों की ओर उड़े जहां वर्तमान में कुंभ लगता है तो हऱिद्वार जाते समय वे कालीदह पर एक सूखे कदम्ब के वृक्ष पर बैठ गए। उनके बैठते ही तथा कलश को वृक्ष पर रखते ही सूखा कदम्ब का वृक्ष हरा हो गया। इस चमत्कार के बाद हरिद्वार का कुभ लगने के पहले संत, महन्त, अनी अखाड़ों के महन्त, नागा साधु वृन्दावन में एकत्र होते हैं और 40 दिन के बाद हरिद्वार के लिए सामूहिक रूप से प्रस्थान करते हैं।
आज सुबह लगभग 9 बजे बैंड बाजों एवं घेाड़े, ऊंट आदि के साथ जैसे ही संतों महन्तों की सवारी वृन्दावन की गलियों से होकर गुजरी, कृष्ण भक्ति की गगा बह उठी तो व्रजवासियों ने शोभा यात्रा के स्वागत के लिए पलक पावंड़े बिछा दिये। मकानों और दुकानों की छत से पुष्प वर्षा हुई तो चंदन लगाकर और दुपट्टा या माला धारण कराकर शोभा या़त्रा का स्वागत किया गया । कुछ स्थानों पर तो गुलाब जल की वर्षा तक हुई। राधे राधे की प्रतिध्वनि से वृन्दावन गूंज उठा।इस धार्मिक वातावरण से संत झूम उठे।कुछ संतों ने तो पटेबाजी का अनूठा प्रदर्शन भी किया तो संत समाज के दर्शन करने की होड़ लग गई। इस शोभायात्रा में नागा संत भी शामिल थे। वृन्दावन की गलियों से होकर पिशवाई जब कुंभ क्षेत्र में पहुंची तो कुछ क्षण के लिए पिशवाई हेलीकाॅप्टर से भी पुष्प वर्षा हुई।इस पिशवाई में घ्वज में सबसे आगे हनुमान जी विराजमान थे।महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा कुभ के वातावरण से अभिभूत थे। कुंभ की बेहतरीन व्यवस्था करने के लिए उन्होंने उ0प्र0 ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र को साधुवाद दिया और कहा कि व्यवस्थाएं छोटे रूप में भले हों पर किसी रूप से कुभ से कम नही हैं।
12 बजे बाद ध्वज के सांकेतिक स्नान के बाद तीनो अनी अखाड़ों के महन्तो ने और बाद में अन्य ने स्नान किया।
सं विनोद
वार्ता
image