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राष्ट्रीय-चंबल डाॅल्फिन दो अंतिम इटावा

श्री वर्मा ने बताया कि गंगा नदी में पाई जाने वाली डाॅल्फिन राष्ट्रीय जलीय जीव है। पांच अक्टूबर 2009 में केंद्र सरकार ने गंगा डाॅल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया था। इसका वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा गैंगेटिका है। गंगा डाल्फिन गंगा ब्रह्मपुत्र, सिंधु, मेघना नदी अपवाह तंत्र जिसमे भारत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं, में पाई जाती है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में डाॅल्फिन ये नरोरा और बिहार के पटना साहिब के क्षेत्र में पाई जाती हैं। वर्ष 1972 में डाॅल्फिन को भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में लाया गया, जिसका मतलब कि इनका शिकार करना अपराध है। उन्होंने बताया कि इसके बाद 1996 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजरवेशन ऑफ नेचर ने इन्हें विलुप्त प्राय जलीय जीव घोषित किया। भारत में डाॅल्फिनों की संख्या बढ़ाने के लिए मिशन क्लीन गंगा चलाया जा रहा है।
श्री वर्मा के अनुसार भारत में इनकी संख्या लगभग 2000 से भी कम है । भारत में डाल्फिन 10 करोड़ साल से मौजूद हैं। वर्ष 1972 में डॉल्फिन को भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में लाया गया ।
उन्होंने बताया कि यह स्तन धारी प्राणी है और व्हेल व डाॅल्फिन एक ही श्रेणी में आती है। डाॅल्फिन को अकेले रहना पसंद नहीं है वह 10 से 12 के समूह में रहती है । वे आवाज व सीटी के माध्यम से एक दूसरे से बात करती हैं । डाॅल्फिन को सांस लेने के लिए हर 15 मिनट में सतह पर आना होता है । मादा डाॅल्फिन नर से बड़ी होती है और इनकी औसत आयु 28 साल है। केन्द्र सरकार ने इन्हें नॉन ह्यूमन प्रदर्शन या गैर मानवीय जीव की श्रेणी में रखा है यानी एक ऐसा जीव को इंसान ना होते हुए भी इंसानों की तरह जाना जाता है और वैसे ही जीने का हक रखते है।
श्री वर्मा ने बताया कि डाॅल्फिन एक बार में एक ही बच्चा देती है। प्रसव के कुछ दिन पहले गर्भवती डाॅल्फिन को देखभाल के लिए पांच से छह मादा डाॅल्फिन उसके पास रहती हैं बच्चे के जन्म तक मादा डाॅल्फिने गर्भवती के पास रहती हैं । बच्चे के जन्म के समय डाॅल्फिनो का समूह मानव की तरह प्रसन्न होकर उत्सव करता है इस दौरान सांस लेने के लिए एक साथ सतह पर आता है ।
पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फाॅर कंजरवेशन आफ नेचर के महासचिव डा0 राजीव चौहान का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से डाॅल्फिन को ईको टूरिज्म से जोड़ने की बात कही है ,तब से लोग डाॅल्फिन के प्रति संवेदनशील हो गये है । जहाॅ जहाॅ डाॅल्फिन पाई जा रही है वहाॅ वहाॅ पर लोगो की आवागमन बढ़ा है । डॉल्फिन को देखने के प्रति लोगो की रूचि बढ़ रही है ।
सं त्यागी
वार्ता
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