राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Mar 17 2021 8:50PM मातृ मृत्यु के सामाजिक कारणों का पता लगाना जरूरी:डॉ बरतरियाझांसी 17 मार्च (वार्ता) उत्तर प्रदेश के झांसी में स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ़ अल्पना बरतरिया ने मातृ मृत्यु के कारणों का पता लगाकर उनका निराकरण करने की आवश्यता को रेखांकित किया। यहां चिकित्सा स्वास्थ्य के कार्यालय सभागार में अपर निदेशक अध्यक्षता में मंडलीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। जिसका संचालन सिफ़्सा/एनएचएम के मण्डलीय परियोजना प्रबंधक आनंद चौबे के द्वारा किया गया। बैठक में मण्डलीय परियोजना प्रबंधक के द्वारा पीपीटी के माध्यम से जनपद में गत माह में राष्ट्रीय कार्यक्रम, प्रजनन स्वास्थ्य, नवजात शिशु, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किए गए कार्यों पर चर्चा की गयी। साथ ही पिछली मीटिंग में दिये गए दिशा निर्देशों पर चर्चा हुई। इस बार का मुख्य विषय मातृ मृत्यु के कारणों का पता लगाकर उसके निराकरण पर कार्य करना था। मातृ मृत्यु के कारणों पर चर्चा करते हुए डा. बरतारिया ने कहा कि सुरक्षित मातृत्व हर महिला का मौलिक अधिकार है परन्तु हमारे देश में कई माताएँ गर्भावास्था या प्रसव पीड़ा के दौरान समय से सेवाएँ न मिलने या अज्ञानता के कारण अपना जीवन खो देती हैं जिसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित करना आवश्यक है। मातृ मृत्यु के चिकित्सीय कारणों के साथ-साथ उनके सामाजिक कारणों जैसे कि क्या समय से प्रसव पूर्व जांच के लिए आई या नहीं, क्यों नहीं आयी, घर में कैसा माहौल रहा, प्रसव के समय ही अस्पताल आयी तो इसके पीछे के क्या कारण थे आदि, को चिन्हित किया जाए, और उनसे निपटने की रणनीति बनाई जाए जिससे कि मातृ मृत्यु की दर को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रसव की संभावित तिथि के एक माह पूर्व संबन्धित महिला की सम्पूर्ण जांच हुई है या नहीं यह सुनिश्चित कर लिया जाए। यदि जांच नहीं हुई तो उस तिथि से आगामी माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर उसकी सम्पूर्ण जांच कराना सुनिश्चित किया जाए। अप्रैल से फरवरी तक मंडल में झांसी में 72, जालौन में 31 व ललितपुर में 22 मातृ मृत्यु हो चुकी है। इन मृत्यु की संख्या को नियंत्रित करने के लिए मण्डलीय परियोजना प्रबंधक ने कहा कि किशोरावस्था से ही लड़कियों को आयरन सप्लीमेन्टेशन दिये जाने की आवश्यकता है ताकि जब वह माँ बने तो रक्तअलप्ता की शिकार न हो। संयुक्त निदेशक डॉ॰ रेखा रानी ने अस्पतालों में होने वाले सामान्य व सिजेरियन प्रसव पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का चिन्हीकरण समय से कर उनके कारणों के निदान के प्रति प्रसव पूर्व ही कार्य करना होगा तभी जाकर मातृ मृत्यु रोकी जा सकेंगी। मण्डलीय परियोजना प्रबंधक ने वर्ष 2020-21 में स्वीकृत एन.एच.एम. की गतिविधियों में व्यय की मदवार समीक्षा की तथा 31 मार्च तक लक्ष्य पूर्ण करने के संबंध में विचार विमर्श किया। बैठक में मंडल के सभी जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सभी जनपदों के जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, मातृ मृत्यु समीक्षा के नोडल अधिकारी, डीपीएमयू यूनिट के प्रबन्धक उपस्थित रहे।सोनियावार्ता