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उत्तर प्रदेश- डाकू जगजीवन होली दो इटावा

चैरैला गांव के रघुपति सिंह बताते हैं कि होली वाली रात जगजीवन परिहार गैंग के हथियार बंद डाकुओं ने गांव में धावा बोला तो किसी को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि डाकुओं का दल गांव में खूनी वारदात करने के इरादे से आये हुए हैं क्योंकि अमूमन जगजीवन परिहार का गैंग गांव के आसपास आता रहता था, लेकिन होली वाली रात जगजीवन परिहार गैंग ने सबसे पहले उनके घर पर गोलीबारी की।
डाकुओं ने उनके घर पर बेहिसाब गोलियां चलाई । डाकुओं का इरादा उनकी हत्या करना था लेकिन डाकू दल घर का दरवाजा नहीं तोड़ पाये इससे वह और उसका परिवार बच गया । बेशक वो बच गया लेकिन उसके और दूसरे गांव के तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया तथा दो अन्य लोगों को गोली मार कर मरणासन्न कर दिया गया था। आज भी उस खूनी होली याद से मन सिहर उठता है।
इस सनसनीखेज घटना की गूंज पूरे देश में सुनाई दी । इससे पहले चंबल इलाके में होली पर कभी भी ऐसा खूनी खेल नहीं खेला गया था। इस कांड की वजह से सरकारी स्कूलों में पुलिस और पीएसी के जवानों को कैंप कराना पड़ा था।
क्षेत्र के सरकारी स्कूल अब डाकुओं के आंतक से पूरी तरह से मुक्ति पा चुके हैं। इलाके में अब कई प्राथमिक स्कूल खुल चुके हैं। इसके साथ ही कई जूनियर हाईस्कूल भी खोले जा रहे हैं। जिनमें गांव के मासूम बच्चे पढ़ने के लिये आते हैं और पूरे समय रहकर शिक्षकों से सीखते हैं।
ललूपुरा गांव के बृजेश कुमार बताते हैं कि जगजीवन के मारे जाने के बाद पूरी तरह से सुकुन महसूस हो रहा है । उस समय गांव में कोई रिश्तेदार नहीं आता था । लोग अपने घरों के बजाय दूसरे घरों में रात बैठ करके काटा करते थे । उस समय डाकुओं का इतना आंतक था कि लोगों की नींद उड़ी हुई थी । पहले किसान खेत पर जाकर रखवाली करने में भी डरते थे । आज वे अपनी फसलों की भी रखवाली आसानी से करते हैं।
गौरतलब है कि कभी स्कूल में चपरासी रहा जगजीवन एक वक्त चंबल में आंतक का खासा नाम बन गया था । परिहार ने अपने ही गांव चैरैला गांव के अपने पड़ोसी उमाशंकर दुबे की छह मई 2002 को करीब 11 लोगों के साथ मिलकर धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। डाकू उसका सिर और दोनों हाथ काटकर अपने साथ ले गये थे।
इटावा पुलिस ने इसी कांड के बाद जगजीवन को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिये पांच हजार का इनाम घोषित किया था । एक समय जगजीवन परिहार के गिरोह पर उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश और राजस्थान पुलिस ने करीब आठ लाख का इनाम घोषित किया था । चैरैला कांड के रूप में कुख्यात यह दर्दनाक ऐसा वाक्या है जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है।
सं विनोद
जारी वार्ता
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