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पहली बार अपना प्रधान चुनेंगे 35 गांवों के वनटांगिया

लखनऊ/गोरखपुर, 07 अप्रैल (वार्ता) उत्तर प्रदेश में राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने के बाद 35 गावों के वनटांगिया त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपने प्रधान का चुनाव करेंगे।
गोरखपुर जिले में पांच और पड़ोसी जिले महराजगंज में 18 वनटांगिया गांव हैं। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के ही गोंडा और बलरामपुर में 5-5 वनटांगिया गांव हैं। राजस्व ग्राम के निवासी के रूप में इन गांवों के वनटांगिया पहली बार पंचायत चुनाव में सीधी और सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
पूर्वांचल में वनटांगियों के लिए सात दशक तक आजादी का वास्तविक मतलब बेमानी था। उनका वजूद राजस्व अभिलेखों में न होने की वजह से वह समाज और विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे। हालांकि योगी सरकार ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में मिलने वाली सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराकर विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में 35 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया है, जिससे वन क्षेत्रों में बसे इन वन ग्रामों के निवासियों को सड़क, राशन, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं से लाभान्वित किया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में 7,023 आवास मुसहर समुदाय को दिया गया है। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से छूटे लाभार्थियों को 72,302 निःशुल्क आवास दिया गया है। इसमें 38,112 मुसहर वर्ग, 4,779 वनटांगिया 2,992 कुष्ठ रोग प्रभावित और 81 थारु जनजाति के लोग लाभान्वित हुए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत पांच जिलों के 35 वनटांगिया ग्रामों में 5,973 शौचालय, 31 ग्रामों को विदयुत ग्रीड और 16 ग्रामों को सोलर प्रणाली से विदयुतीकृत किया गया है, जिससे 3172 परिवार लाभान्वित हुए हैं। वनटांगिया गांव के 131 दिव्यांगों को पेंशन, 2760 परिवारों को अन्त्योदय राशन कार्ड और 6039 गृहस्थी राशन कार्ड दिए गए हैं।
वनटांगिया गांव अंग्रेजी शासनकाल में 1918 के आसपास बसाए गए थे। इसका मकसद साखू के पौधों का रोपण कर वनक्षेत्र को बढ़ावा देना था। इनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा पेड़ों के बीच की खाली जमीन पर खेतीबाड़ी करना है। गोरखपुर में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में बसी इनकी बस्तियां 100 साल से अधिक पुरानी हैं।
पूर्वांचल के अन्य वनग्रामों का इतिहास भी इतना ही पुराना है। जंगलों को आबाद करने वाले वनटांगियों को देश की आजादी के बाद भी जंगली जीवन बिताने को मजबूर होना पड़ा। सरकार के किसी भी कागज में इनकी हैसियत बतौर नागरिक नहीं थी। अस्सी और नब्बे के दशक के बीच तो इन्हें जंगलों से भी बेदखल करने की कोशिश की गई। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के संघर्ष के साथी बने और अपने संसदीय कार्यकाल में सड़क से सदन तक उनके हक के लिए आवाज बुलंद करते रहे। वनटांगियों से योगी की आत्मीयता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह 2009 से उन्हीं के बीच दिवाली मनाते हैं।
राजस्व ग्राम का दर्जा देने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के वनटांगिया गांवों की तस्वीर और तकदीर बदल गई है। महराजगंज में 27 मार्च को सीएम योगी ने किसान आंदोलन के नाम पर गुमराह करने वालों को करारा जवाब देते हुए महराजगंज के वनटांगिया गांवों में आकर विकास की नई तस्वीर देखने की सलाह भी दे डाली थी। महराजगंज के वनटांगिया वास्तव में नजीर बनकर सामने आए हैं।
प्रदीप
वार्ता
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