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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दो इन्सपेक्टरो के निलम्बन पर लगाई रोक

प्रयागराज 08 अप्रैल (वार्ता) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारियों द्वारा कोर्ट के प्रतिपादित कानूनों से बेखबर होकर लगातार आदेश पारित करने पर आश्चर्य व्यक्त किया है । कोर्ट ने कहा कि यह कानून प्रतिपादित हो चुका है कि निलम्बन आदेश विचाराधीन जाँच प्रक्रिया के दौरान किया जा सकता है।
इसके बावजूद पुलिस अधिकारी इन कानूनों से बेखबर होकर मनमाने तरीके से बिना जाँच व तथ्य के अपने मातहतों को निलम्बित कर रहे हैं और कोर्ट में अनावश्यक मुकदमों का बोझ बढ़ा रहे हैं । कोर्ट ने इसी के साथ महोबा में तैनात रहे दो पुलिस इन्सपेक्टरो के निलम्बन पर रोक लगा दी है तथा सरकार से जवाब मांगा है ।
यह आदेश जस्टिस एम सी त्रिपाठी ने इन्सपेक्टर राकेश कुमार सरोज व राजू सिंह की याचिका पर आज दिया । इन इन्सपेक्टरो को एस पी महोबा ने 10 सितम्बर 2020 को निलम्बित कर दिया था। ये दोनों याची महोबा में अलग-अलग पुलिस स्टेशन, थाना खन्ना व थाना कुलपहाड में तैनात थे।
इन्हें निलम्बित कर पूर्व में पुलिस लाइन्स में सम्बद्ध कर दिया गया था। बाद में दोनों को प्रशासनिक आधार पर एटा व आजमगढ़ से सम्बद्ध कर दिया गया था।
याचीगण के निलंबन में आरोप था कि इन लोगों ने पी पी पाण्डेय इंफ़्रास्ट्रक्चर प्रा लि कम्पनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अमित तिवारी के गाडिय़ों को रोककर चालान कर दिया एवं एफआईआर दर्ज की । आरोप यह भी लगा है कि इन लोगों ने महोबा के तत्कालीन एस पी मणिलाल पाटीदार को हर माह रूपये देने को कहा और धमकी दी । इस मामले में इन दोनों के खिलाफ थाना कोतवाली नगर, महोबा में धारा 384 व 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अन्तर्गत मुकदमा नितीश पाण्डेय ने दर्ज कराया था।
इन्सपेक्टरो की तरफ से उनके वकीलों का कहना था कि हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार बनाम जय सिंह दीक्षित व सच्चिदानंद त्रिपाठी समेत तमाम केसों में यह कानून प्रतिपादित कर दिया है कि पुलिस अधिकारी को निलम्बन आदेश पारित करते समय सक्षम अधिकारी के पास उसके खिलाफ निलम्बन के लिए मैटेरियल होना चाहिए । कहा गया था कि याचीगण के खिलाफ निलम्बन के लिए न तो कोई मैटेरियल था और न ही मैटेरियल होने का जिक्र था । कहा गया था कि चूंकि इन इन्सपेक्टरो ने शिकायतकर्ता पी पी पाण्डेय व इसके सहयोगियों के खिलाफ अवैध खनन को लेकर मुकदमा दर्ज कराया था, इस कारण इन्हें झूठे केसों में फंसा कर निलंबित करने की कार्यवाही की गई है । कोर्ट ने निलम्बन पर रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा है ।


सं विनोद
वार्ता
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