Saturday, Apr 20 2024 | Time 16:47 Hrs(IST)
image
राज्य » उत्तर प्रदेश


झांसी: सतर्क प्रशासन व मौसम के आगे कुंद हुई किसान आंदोलन की धार

झांसी 18 अक्टूबर (वार्ता)कृषि व किसान विरोधी बिल और लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में किसान संगठनों के देशव्यापी रेल रोकाे आंदोलन के तहत उत्तर प्रदेश के झांसी में किसानों की याेजना पर प्रशासन की सतर्कता और लगातार हो रही भारी बारिश के चलते पूरी तरह से पानी फिर गया।
किसान केवल झांसी के निकट मऊरानीपुर स्टेशन पर ही विरोध जताने पहुंच सके। किसान नेता प्रशासन के आगे बेबस नजर आए और उनका रेल रोको आंदोलन असफल हो गया।उन्हें केवल ज्ञापन देकर ही संतोष करना पड़ा। करीब तीन दर्जन किसानो के साथ किसान नेता कमलेश लम्बरदार मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे लेकिन भारी संख्या में पुलिस बल पहले से ही खड़ा देख आगे नहीं जा सके। किसानों ने किसान एकता के नारे भी लगाए। किसान नेता कमलेश ने बताया कि उनका यह आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक किसानों के लिए बनाए काले कानून वापस नहीं लिए जाते। इसके लिए उन्होंने आज रेल रोको आंदोलन रखा था। हालांकि उन्हें ज्ञापन देकर ही अपने आन्दोलन को समाप्त करना पड़ा।
दूसरी ओर किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर लगभग दो माह तक यहां गांधीपार्क में आंदोलन करने के बाद जिला भ्रमण पर निकले किसान नेता और किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरीशंकर बिदुआ ने कहा कि किसान यूनियन के रेल रोको को हमारा पूरा समर्थन है लेकिन हम अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला भ्रमण पर है। इसके बावजूद देश व्यापी रेल रोको आंदोलन के तहत हमारी कानपुर रेलमार्ग रोकने की योजना थी लेकिन पिछले 24 घंटे से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने हमारी सारी योजना पर पानी फेर दिया। हम यहां बड़ागांव क्षेत्र में बंध कर रह गये। हमारे ट्रैक्टर और अन्य वाहन क्षेत्र में जगह जगह जलप्लावन और इसके कारण हुई कीचड में फंस कर रह गये और हम असहाय होकर अपनी योजना को मूर्त रूप नहीं दे पाये लेकिन उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड का किसान देशव्यापी किसान आंदोलन के साथ खड़ा है।
किसान विरोधी बिलों को लेकर किसान यूनियन लगातार आंदोलनरत हैं। साथ ही बीते दिनों केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के किसानों को कुचलने वाले बयान को लेकर किसान यूनियन का रेल रोको आंदोलन था। इसके चलते सोमवार को पूरे जनपद की रेलवे स्टेशन पर पुलिस व प्रशासन ने कमर कस ली थी। कुछ प्रशासन की सतर्कता और दूसरी ओर मौसम की मार ने किसान आंदोलन पर पानी फेर दिया।
सोनिया
वार्ता
image