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छोटे राजनीतिक दलों के लिए मऊ 'राजनीति का मक्का'

मऊ, 27 अक्टूबर (वार्ता) सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी के 19वें स्थापना दिवस के अवसर पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने मंच पर बुलाकर आगामी विधानसभा चुनाव में छोटे बड़े दलों के गठबंधन को मंच मुहैया कराने की कोशिश की है।
छोटे राजनीतिक दलों के लिए 'राजनीति का मक्का' माने जाने वाले मऊ में गुरुवार को राजभर ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित जनसभा को भाजपा के खिलाफ छोटे दलों को लामबंद करने के लिये महापंचायत का नाम दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव के महज कुछ माह पूर्व इस बड़े राजनीतिक घटना चक्र को राजनीतिक विश्लेषक उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा सियासी कदम बता रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि राजभर की कोशिश इस महापंचायत को विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़े गठबंधन का मंच बनाना है। इस बात की भी अटकलें लगायी जा रही हैं कि इस मंच पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी पहुंच सकते हैं। हालांकि मऊ में रैली शुरु होने के बाद मंच पर अखिलेश और राजभर ही नजर आये।
जानकारों की राय में राजभर ने इतना महत्वपूर्ण कार्यक्रम सूबे की राजधानी लखनऊ में आयोजित न कर मऊ में करने के पीछे वजह यही है कि मऊ पूर्वांचल की ऐसी धरती है जिसे छोटे व नवगठित राजनीतिक पार्टियों का "मक्का" कहा जाता है।
गौरतलब हो कि सुभासपा, जनवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनवादी क्रांति दल सहित दर्जनभर से अधिक छोटी क्षेत्रीय पार्टियों की स्थापना मऊ में ही हुई है। पूर्वांचल के बिहार से सटे उत्तर प्रदेश मऊ गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया, देवरिया इत्यादि जनपदों का केंद्र बिंदु माना जाता है। खास बात यह कि इन जनपदों में अति पिछड़ी जातियों में शुमार राजभर, चौहान, नोनिया, पासी, वनवासी, कोइरी, कोहार, गोंड, धरकार, कुशवाहा इत्यादि की मिश्रित आबादी पाई जाती है।
जातिवादी आधार पर गठित राजनीतिक पार्टियों के लिए ये जातियां एक मजबूत आधार का काम करती है। ओमप्रकाश राजभर भले ही वाराणसी जनपद के रहने वाले हो लेकिन उनकी राजनीतिक गतिविधियां मऊ, बलिया और गाजीपुर जनपद में ही केन्द्रित रहती हैं। राजभर भी इन जिलों में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहते हैं। जहां उनकी पार्टी का इन जिलों में व्यापक जनाधार है। ऐसे में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व में मऊ स्थित हलधरपुर के मंच पर पहुंचना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इससे सपा को आगामी विधानसभा चुनाव में अपना जनाधार बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में 28 जिलों की 164 विधानसभा सीटें आती हैं। यह 403 सदस्यीय विधानसभा का 33 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पिछले विधानसभा चुनाव इसमें से 115 सीटें सत्तारूढ़ भाजपा ने जीती थीं जबकि सपा को 17 और बसपा को 14 सीटें मिली थी।
सं निर्मल
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