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न्यायाधीशों को संवेदनशीलता के साथ संतुलित न्याय देने की जरूरत: माहेश्वरी

लखनऊ 24 जुलाई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने रविवार को कहा कि न्यायिक अधिकारियों को अधिक संवेदनशीलता के साथ अपनी दोनो इंद्रियो के ज़रिए समाज में संतुलन से न्याय देने की आवश्यकता है।
गोमतीनगर न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान में 250 न्यायिक अधिकारियों (जजो) की न्यायिक कॉन्फ़्रेन्स काे सम्बोधित करते हुये उन्होने कहा कि मनुष्य के पाँच ज्ञानेंद्रिय होती है जिसमें अधिक महत्वपूर्ण आंतरिक इंद्रिया होती है। न्यायाधीशों को विशेषकर अपने दृष्टिकोण में संतुलन बनाते हुए अपनी आंतरिक इंद्रियो ओर अधिक विश्वास करना चाहिए और पक्षकारों को न्याय देते समय ना तो बहुत कम और ना बहुत अधिक करुणा दर्शानी चाहिए। साथ ही न्याय पक्षकारों पर केंद्रित भी नहीं होना चाहिए बल्कि मूल कारणो पर केंद्रित होना चाहिए तभी न्याय का वास्तविक उद्देश्य पूरा होगा ।
न्यायमूर्ति ने न्यायिक अधिकारियों को रास्ता दिखाते हुए यह भी कहा कि न्यायालय में न्याय देते समय असंगत तथ्यों , प्रश्नो तथा किसी अन्य बात को शामिल नहीं करना चाहिए जो न्याय के लिए आवश्यक नहीं है ।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने कहा कि अभी कक्षा 10वी व 12वीं के नतीजों में हमारी बेटियों ने आज बेंटो से अधिक अंक हासिल किए है ये बहुत गर्व की बात है । हम ऐसे देश में रहते है की जहा रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी गोद में बेटे के साथ स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान दिया था। हमारे देश की बेटियां व महिलाएँ तभी सफल हो सकेंगी जब उनको परिवार ओर समाज का सहयोग मिलेगा । हम सबकी ज़िम्मेदारी है की हम सभी प्रत्येक बेटी व महिला को भरपूर्ण सहयोग प्रधान करे ।
न्यायमूर्ति ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपर्णा भट्ट , पतन जमाल , शबरी माला केस तथा सेना में नियुक्ति आदि के मामलों की विधि व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन प्रत्येक न्यायिक अधिकारी को करना चाहिए जिससे इस विषय पर न्यायिक अधिकारी समवेदन हो सकें।
सं प्रदीप
वार्ता
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