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मथुरा में हैवान का फांसी की सजा

मथुरा 29 मई (वार्ता) उत्तर प्रदेश में मथुरा की एक अदालत ने नौ साल के मासूम के साथ कुकर्म और हत्या करने के अभियुक्त को फांसी की सजा सुनायी है।
पाक्सो एक्ट की अदालत ने त्वरित न्याय का उदाहरण पेश करते हुए मात्र 15 कार्य दिवस में अपना फैसला सुनाया और नौ साल के नाबालिग बच्चे के साथ कुकर्म कर हत्या करने के आरोपी को फांसी की सजा देने का आदेश दिया। अभियुक्त को अन्य धाराओं में एक लाख का जुर्माना भी अदा करना होगा।
स्पेशल डीजीसी पाॅक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि इस मामले में आरोपपत्र 28 अप्रैल को अदालत में पेश किया गया था। इस जघन्य मामले की सुनवाई के दौरान 14 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराये। पहला गवाह आठ मई को तथा अंतिम गवाह 18 मई को पेश हुआ और 22 मई को फाइनल बहस हुई। 26 मई को आरेापी पर सभी धाराओं में दोष सिद्ध हुआ और सोमवार को फैसला सुनाया गया।
स्पेशल डीजीसी ने अभियोजन पक्ष की जानकारी देते हुए बताया कि आठ अप्रैेेल की शाम मथुरा शहर के औरंगाबाद क्षेत्र से उक्त बच्चा अचानक गायब हो गया था। बच्चे के पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट थाना सदरबाजार में उसी दिन दर्ज कराई थी। आसपास के सीसीटीवी खंगालने पर बच्चा ताऊ की दुकान पर काम करने वाले सैफ निवासी केडीए कालोनी कानपुर और हाल निवासी औरंगाबाद नामक अभियुक्त के साथ देखा गया। पुलिस ने इसके बाद सैफ को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की तो उसने न केवल अपना जुर्म स्वीकार कर लिया बल्कि उसकी निशादेही पर घर से लगभग 500 मीटर दूर एक नाले से बच्चे के शव को बरामद कर लिया।
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने नाले के पास बच्चे के साथ कुकर्म किया था तथा बाद में रहस्य का खुलासा होने के डर से लोहे की स्प्रिंग से गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने हत्यारे सैफ के खिलाफ धारा 363, 302, 201, 377 आईपीसी और धारा 6 पाॅक्सो ऐक्ट अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
सजा के सवाल पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि अभियुक्त के छोटे छोटे बच्चे हैं तथा बूढ़े माता पिता हैं इसलिए इसे कम से कम सजा दी जाय जबकि डीजीसी ने दलील दी कि मृतक अपने माता पिता की इकलौती सन्तान था तथा मात्र नौ साल का बच्चा था। अभियुक्त ने जघन्य अपराध किया है इसलिए उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाय।
विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो कोर्ट राम किशोर यादव ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए अभियुक्त सैफ को धारा 6 पाॅक्सो ऐक्ट के अन्तर्गत फांसी की सजा का आदेश दिया है। अन्य धाराओं में सजा का विवरण देते हुए स्पेशल डीजीसी ने बताया कि धारा 302 आईपीसी में आजीवन कारावास व 50 हजार का जुर्माना, धारा 377 आईपीसी में 10 वर्ष का कठोर कारावास व 20 हजार जुर्माना,धारा 363 आईपीसी में 5 वर्ष का कठोर कारावास व 20 हजार जुर्माना,तथा धारा201 आईपीसी में 7 वर्ष का कठोर कारावास व दस हजार का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है। जुर्माना अदा न करने पर अभियुक्त को अतिरिक्त साधारण कारावास भोगना होगा। जुर्माने में वसूली राशि का 80 प्रतिशत भाग प्रतिकर के रूप में मृतक के विधिक प्रतिनिधि उसके माता पिता को दिया जाएगा।
सं प्रदीप
वार्ता
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