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कुम्भ में साधुओं से ‘चिलम छोडो अभियान’ का श्री गणेश

कुम्भ में साधुओं से ‘चिलम छोडो अभियान’ का श्री गणेश

कुम्भ नगर, 30 जनवरी (वार्ता) दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ में साधु-महात्माओं ने योग गुरू बाबा रामदेव को चिलम दान देकर महान संतों की परम्परा के गौरव को बढ़ाने का संकल्प लिया।

महात्मा गांधी की बुधवार को पुण्य तिथि के अवसर पर उनके ‘नशा मुक्त भारत” का सपना पूरा करने की दिशा में साधु-महात्माओं ने कुम्भ नगरी से ऐतिहासिक शुरूआत किया है।

पावन कुम्भ परिसर में “ चिलम छोड़ो आन्दोलन” का श्रीगणेश करते हुए योग गुरू बाबा रामदेव ने साधुओं की सर्वसमावेशी संगत में आह्वान करते हुए कहा कि नशा और चिलम आदि से साधुओं का गौरव और संत परंपरा बदनाम होती है। उन्होंने कहा कि जब हम घर-परिवार और मोह-माया त्यागकर ऋषि परंपरा में आए हैं तो क्या नशा का त्याग नहीं कर सकते।

बाबा रामदेव ने संगत को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी एक ईश्वर की संतान हैं और हमारे अंदर कोई भेद-भाव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज गौतम, जैमिनी, पाणिनी, पंतजलि, राम, कृष्ण आदि कोई चिलम नहीं पीते थे।

उन्होंने कहा “संत परोपकारी होते हैं। हम रोजगार देते हैं। मैं लोगों का नशा छुड़ाता हूं तब लोग मुझसे कहते हैं, महातमाओं का नशा क्यों नहीं छुडवाते हो। मैं इसका क्या उत्तर दूं। उन्होंने साधु महात्मओं से चिलम दान करने और नशा का परित्याग कर मानवता के लिए प्रेरणा देने की बात कही।” इस अवसर पर सैंकडों साधु-महात्माओं ने नशा नहीं करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत राजेन्द्र दास महराज ने चिलम दान देकर इस अभियान की ऐतिहासिक शुरूआत की और नशा मुक्ति के लिए संकल्प लिया। यह वही अखाड़ा है जो कुम्भ में सबसे पहले शाही स्नान करता है।

दिनेश त्यागी

वार्ता

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