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कुम्भ मेले में शहीद जवानो के लिए शतकुंडीय महायज्ञ

कुम्भ मेले में शहीद जवानो के लिए शतकुंडीय महायज्ञ

कुम्भ नगर,01 फरवरी (वार्ता) दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ में विस्तीर्ण रेती पर संतों के शिविरों में सनातन धर्म की प्रतीक सैकड़ों की तादाद में लहरा रही धर्म ध्वजा के बीच एक ऐसा भी शिविर है जहां पर धर्म ध्वजा नहीं बल्कि राष्ट्र ध्वजा शीश पर लहरा रही है और वहां हर रोज शहीदों के लिए शतकुंडीय महायज्ञ में आहूतियां दी जाती हैं।


         मेला क्षेत्र में राष्ट्र ध्वजा फहराने वाला यह शिविर सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। श्रद्धालु यहां जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि धर्म ध्वजा की जगह राष्ट्र ध्वजा फहराने का मकसद क्या है। धर्म और अध्यात्म की कुम्भ नगरी में शहीदों के लिए ख़ास यज्ञशाला का निर्माण किया गया है और इसके चारों तरफ शहीदों के चित्र लगे हुए हैं।

        यहां शहीदों के लिए शत कुण्डीय अति विष्णु महायज्ञ हो रहा है। इसके लिए सौ हवन कुंड बनाए गए हैं। जिनमे आठ प्रकार के विशेष हवन कुंड बनाए गए हैं। अलग अलग मंत्रों के द्वारा जिनके अलग अलग प्रभाव भी हैं। कारगिल युद्ध, मुम्बई हमले में शहीद हुए जवानों के नाम पर आहुतियाँ डाली जाती हैं।

        शिविर के संत श्री बालक योगेश्वर दास ने बताया की इससे पहले उज्जैन, नासिक, और हरिद्वार के कुम्भ के अलावा जम्मू कश्मीर, बॉर्डर के इलाके समेत कारगिल एरिया में भी भारत के अमर वीर शहीदों की याद में यज्ञ हो चुका है। यहां शहीदों की तस्वीरें सामने रखकर आहुतियां डाली जाती हैं।

   री दास ने बताया कि शहीदों के परिजन भी इस विशेष यज्ञ में शामिल होने के लिए आते हैं और यज्ञशाला में बैठ कर उनके लिए हवन करतें हैं। उनको याद करतें हैं जिन्होने देश के लिए बलिदान दिया। उन्होने कहा “ दान तो कोई भी दे सकता है भूमि दे सकता है अन्न दे सकता है पैसे का दान कर सकता है पर प्राणों का दान कोई नहीं कर सकता। ऐसे में देश की रक्षा के लिए प्राणों का दान बहुत बड़ा दान है इसलिए शहीद हम सबके लिए पूज्यनीय हैं।”

      बाबा दास ने बताया कि कुम्भ क्षेत्र में जहां संतों के शिविरों में धर्म ध्वज़ा लहरा रही है तो यहां पर देश भक्ति का जज्बा आने वाली पीढ़ी में भरने के लिए यहां पर विशाल तिरंगा लहरा रहा है। मेला क्षेत्र के सेक्टर 14 में हरिश्चन्द्र मार्ग पर दूर से देखते ही इस शिविर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। पंडाल के चारों तरफ शहीदों के चित्रों क़ो लगाया गया है जिसके जरिए आने वाले देश विदेश के श्रधालुओं क़ो भारत के सरहद की सुरक्षा करते समय शहीद हुए जवानों की कुर्बानी क़ो करीब से जान सकें।

     उन्होेंने बताया कि यहां पर कारगिल युद्ध में शहीद जवानों के साथ मुम्बई आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के चित्रों क़ो लगाया गया है। शहीदों के लिए किए जाने वाले महायज्ञ में शहीदों के परिजन भी कुम्भ मेला क्षेत्र में आ कर अपने वीर शहीद सपूत को आहुति देकर नमन कर रहे हैं ।

    संत ने कहा कि इस महायज्ञ की शुरुआत 2003 में की गई थी। 2019 प्रयागराज कुंभ मेला क्षेत्र में 33वां शतकुंडीय अति विष्णु महायज्ञ है। बद्रीनाथ में तपस्या के दौरान कारगिल युद्ध हुआ जिसमें शहीदों और उनके परिवारों के बारे में जानकर मन आहत हुआ। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए ही 108 शतकुंडीय अतिविष्णु यज्ञ का संकल्प लिया था जो आज भी जारी है।

     यह ऐसा शिविर ऐसा है जहां प्रात: पूजन से पहले राष्ट्रगान गूंजता है। शिविर में देश के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शतकुंडीय अतिविष्णु यज्ञ जारी है।

     शतकुंडीय महायज्ञ में शहीदों के परिजनों को भी आमंत्रित और सम्मानित किया जाता है। शिविर की विशेषता यह है कि यहां पहले राष्ट्रगान होता है, फिर आरती, पूजन। शिविर में जयहिंद, वंदेमातरम, भारत माता की जय के उद्घोष हमेशा गूंजते हैं।

     संयोजक  बद्री महाराज ने कहा, लोग अंगदान , वस्त्रदान, समयदान तो कर सकते हैं पर इन सब से सर्वोपरि प्राणदान है जो सिर्फ और सिर्फ हमारे जवान करते हैं। ऐसे में हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम उनके लिए जो कुछ संभव है, करें।

दिनेश प्रदीप

वार्ता

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