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श्रद्धालुओं की अक्षय वट देखने की आस रही अधूरी

श्रद्धालुओं की अक्षय वट देखने की आस रही अधूरी

कुंभ नगर, 10 फरवरी (वार्ता) आध्यात्म,संस्कृति और श्रद्धा के बेजोड़ संगम कुंभ मेले में रविवार को तीसरे और अंतिम शाही स्नान पर आस्था की डुबकी से तृप्त श्रद्धालुओं की अक्षय वट दर्शन की लालसा अधूरी ही रह गयी।

दूर दराज से तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती की त्रिवेणी में बसंत पंचमी के स्नान पर्व पर पुण्य की कामना से गोता लगाने की जो प्रसन्नता श्रद्धालुओं के चेहरे पर दिखलायी पड़ रही थी, अक्षय वट का दर्शन न/न कर पाने का मलाल उनको टीसता रहा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रद्धालुओं ने कुंभ से पहले अक्षय वट आम लोगों के दर्शनार्थ खुलवाने के लिए जहां बुजुर्गों ने आशीष दिया और अन्य ने सराहना की वहीं भीड़ के मद्देनजर प्रशासन द्वारा उसके दर्शन पर रोक लगाने का मलाल भी हुआ। अकबर द्वारा बनवाए गये किले में सैकड़ों साल तक अक्षय वट कैद रहा।

अक्षय वट दर्शन के लिए किले के बाहर बनी चहल पहल वाली ‘जिक-जैेक’ सूनी नजर आ रही थी। बड़ी संख्या में त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु अक्षय वट देखने की लालसा लिए जब किले के बाहर पहुंचे तब पुलिस के जवानों द्वारा “अक्षय वट दर्शन बन्द है” सुनकर मायूस होते रहे।

बादशाहपुर निवासी राम सजीवन ने बताया कि बसंत पंचमी पर त्रिवेणी में स्नान कर जितनी तृप्ति मिली, अक्षय वट के न/न देखपाने की अतृप्त लालसा लिए वापस लौटना पड़ रहा है। उन्होंने बताया,‘ हमे नहीं पता कि अक्षय वट का है, कइसन है, लोग कहत रहेन कि अक्षय वटवा खुल गवा बा, त हम सोचे चला हमहूं देख लेब। अब बन्द बा ता का देखब।”

अक्षय वट देखने की लालसा केवल राम सजीवन में नहीं बल्कि लाखों श्रद्धालुओं को दर्शन की अधूरी अभिलाषा लिए अपने गंतव्य को लौटना पड़ा। किला क्षेत्र में सुरक्षा के लिए लगाई गयी पुलिस को श्रद्धालुओं को “अक्षय वट बन्द है” बताते-बताते कोफ्त आने लगी। कई बार पुलिस को श्रद्धालुओं के साथ रूखा व्यवहार करते देख गया।

दिनेश प्रदीप

वार्ता

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