दुनियाPosted at: Aug 24 2018 6:24PM मॉरीशस में डोडो की तरह हिंदी और भोजपुरी नहीं होगी विलुप्त(शिवाजी से)पोर्ट लुई (मॉरीशस) 24 अगस्त (वार्ता) हिंद महासागर के ‘छोटे भारत’ मॉरीशस में ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि उनके राष्ट्रीय पक्षी ‘डोडो’ की तरह यहां हिंदी एवं भोजपुरी भाषा और भारतीय संस्कृति विलुप्त नहीं होगी।मॉरीशस के स्वामी विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में 18 से 20 अगस्त तक चले 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान और उसके बाद भी स्थानीय लोगों विशेषकर हिंदी बोलने और समझने वालों के उत्साह ने वहां विलुप्त हो रही इस भाषा के पुनर्जागरण की अलख जगाई है।क्वात्रे बोर्न्स के होटल व्यवसायी कवि बुली ने कहा कि दादा-दादी और नाना-नानी हिंदी बोला करते थे लेकिन उनके माता-पिता ने हिंदी और भोजपुरी के बदले फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा सीखी। इसके बाद वह अपने माता-पिता के साथ फ्रांस चले गये थे लेकिन, उनकी पैतृक संपत्ति क्वात्रे बॉर्न्स में ही थी। वह अपने देश से दूर नहीं रह सके और वह यहां लौट आये।श्री बुली ने बताया कि वह मूल रूप से भारत के बिहार राज्य से हैं। शायद उनके गांव का नाम बलिया था, इसलिए उनके नाम में बुली जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि वह अपने होटल के कर्मचारी की मदद से हिंदी समझने लगे हैं लेकिन अभी पूरी तरह से बोल नहीं पाते हैं। इस दिशा में हालांकि उनकी कोशिश जारी है।शिवा.श्रवण जारी (वार्ता)