दुनियाPosted at: Sep 4 2018 7:52PM भावी पीढ़ी अनुसरण से प्रोत्साहित हो: कोविंदनिकोसिया 04 सितंबर (वार्ता) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि अनुसरण भावी पीढ़ियों को प्रोत्साहित करने का एक अहम कारक होना चाहिए।श्री कोविंद ने आज साइप्रस विश्वविद्यालय में एक संबाेधन में कहा कि तकनीकी ज्ञान ने सीखने की एक नयी दुनिया का पदार्पण किया है और इसकी वजह से हमारे सभी काम आसान हो गए हैं लेकिन तकनीक की तत्काल प्रकृति से किसी को भी इतना प्रभावित नहीं होना चाहिए और न ही उसके प्रभाव में बह जाना चाहिए। श्री कोविंद ने साइप्रस विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया जिसका शीर्षक ‘युवा, प्रौद्योगिकी और आइडिया : 21वीं शताब्दी की रूपरेखा को नया स्वरूप प्रदान करना’ था।यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार श्री कोविंद ने कहा,“ पहली बार यह देखने को मिला है कि इतने व्यापक पैमाने पर बदलाव लाने के लिए युवा प्रत्यक्ष रूप से तकनीक से जुड़े हैं और हम तेजी से बदलती दुनिया में रह रहे हैं। इन बदलावों को आने वाले दशक में देखा जा सकता है अौर यह मानव इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना होगी। प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप, नवाचार, नए विचार, डिजिटल सहायक और स्वच्छ ऊर्जा की दुनिया हमारी जिंदगी में अविश्वसनीय तरीके से बदलाव लायेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि बदलती दुनिया वैश्विक समुदाय के बीच और अधिक सहयोग की मांग करती है। हमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के फायदों का लाभ पाने के लिए विभिन्न समुदाय और देशों के लिए खुले संसाधन मंच का निर्माण करना चाहिए अौर इस दिशा में भारत का अनुभव काफी प्रासंगिक है। डिजीटल दुनिया तक पहुंच बनाने से सश्क्तीकरण एक ऐसा लक्ष्य है जिसके लिए भारत सरकार प्रतिबद्ध है।पर्यावरण पर बढ़ते दबाव और जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन की चुनौतियों पर जोर देते हुए श्री कोविंद ने कहा,“ इस क्षेत्र में मौसमी बदलावों में परिवर्तनों, अचानक आई बाढ़ और जंगल की आग जैसी चुनौतियों से रूबरू होना है और इनकी गंभीरता आने वाली पीढ़ियों के लिए और अधिक हो सकती है। कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका समाधान न निकाला जा सके। विकास के क्रम में निरंतरता बनाए रखना, वन क्षेत्रों को बनाए रखने, पर्यावरण की सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों को अपनाने से हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपट सकते हैं। इस संदर्भ में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जरिए बढ़त हासिल की है।” उन्होंने कहा कि भारत और साइप्रस दो प्राचीन संस्कृतियां हैं जो सदियाें से प्रकृति के साथ तारतम्य बना कर रहती आई हैं और अब आधुनिक जीवन में सतत प्रकियाओं को समाहित करने का समय आ गया है।उन्हाेंने कहा,“ नए समय की तकनीक अौर सदियों का ज्ञान तथा विवेक का मिश्रण हमारी पारिस्थितिकी की अनेक समस्याअों को सुलझा सकता है।”साइप्रस, बुल्गारिया और चेक गणराज्य की यात्रा के चरण में राष्ट्रपति अब अपनी साइप्रस की यात्रा को समाप्त कर बुल्गारिया के लिए रवाना हो गए हैं अौर कल सोफिया में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे।जितेन्द्र.श्रवण वार्ता