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श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी यह तीसरी जापान यात्रा है। वह जब भी जापान आते हैं तो उन्हें यहां एक आत्मीयता का अनुभव होता है क्योंकि भारत और जापान के बीच संबंधों की जड़ें पंथ से लेकर प्रवृति तक हैं। हिंदू हो या बौद्ध मत, हमारी विरासत साझा है। हमारे आराध्य से लेकर अक्षर तक में इस विरासत की झलक मिलती है। उन्होंनेे कहा, “मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, भगवान शिव और गणेश सबके साम्य जापानी समाज में मौजूद हैं। सेवा शब्द का अर्थ जापानी और हिंदी में एक ही है। होम यहां पर गोमा बन गया और तोरण जापानी में तोरी बन गया। पवित्र ओंताके पर्वत शिखर पर जाने वाले जापानी तीर्थयात्री जो पारंपरिक श्वेत पोशाक पहने होते हैं, उस पर संस्कृत-सिद्धम् लिपि के कुछ प्राचीन वर्ण भी लिखवाते हैं। वे जब श्वेत जापानी तेंगुई पहनते हैं तो उस पर ‘ऊँ’ लिखा होता है।”
उन्होंने कहा, “भारत और जापान के रिश्तों के ताने बाने में ऐसे अतीत के बहुत से मजबूत धागे हैं। भारत और जापान के इतिहास को जहां बुद्ध और बोस जोड़ते हैं, वहीं वर्तमान को प्रवासी भारतीय जैसे नए भारत के दूत मजबूत कर रहे हैं। सरकार का राजदूत एक है लेकिन राष्ट्र दूत यहां हज़ारों हैं।” उन्हाेंने कहा, “आप वो पुल हैं जो भारत और जापान को, दोनों देशों के लोगों को, संस्कृति और आकांक्षाओं को जोड़ते हैं। मुझे खुशी है कि आप अपने इस दायित्व को सफलता के साथ निभा रहे हैं।”
श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री आबे भारतीय समुदाय की इतनी तारीफ करते हैं कि मन गद्गद् हो जाता है। उन्होंने कहा, “आप लोगों ने अपने कौशल से, अपने सांस्कृतिक मूल्यों से यहां बहुत सम्मान अर्जित किया है। योग को आप जापान के जनजीवन का हिस्सा बनाने में सफल रहे हैं। यहां के मेन्यू में आपने कढ़ी चावल ला दिया और अब तो आप दीवाली भी अपने जापानी दोस्तों के साथ मनाते हैं।” उन्होंने कहा, “आपने मार्शल आर्ट्स में निपुण इस देश को कबड्डी की कला दी है और अब आप क्रिकेट के कल्चर को विकसित करने में जुटे हैं। आपने जिस तरह योगदान, दिल जीत कर सहअस्तित्व के मंत्र से जापानी दिलों में जगह बनाई है वो प्रशंसनीय है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज परिवर्तन के बड़े दौर से गुजर रहा है। मानवता की सेवा के लिए दुनिया आज भारत के प्रयासों का गौरवगान कर रही है। भारत में जैसी नीतियों का निर्माण हो रहा है और जनसेवा के क्षेत्र में जो कार्य हो रहा है, उसके लिए देश को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने नये भारत के निर्माण के लिए प्रवासी भारतीयों को सक्रिय भागीदारी के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत में निवेश और नवान्वेषण के लिए आज उपयुक्त अवसर तो हैं ही, साथ में अपनी जड़ों के साथ सक्रियता से जुड़ने का भी ये महत्वपूर्ण समय है।
सचिन जितेन्द्र
जारी वार्ता
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दक्षिण चीन सागर में शांति के लिए  आसियान देशों के साथ काम करेगा चीन

दक्षिण चीन सागर में शांति के लिए आसियान देशों के साथ काम करेगा चीन

18 Apr 2024 | 2:45 PM

जकार्ता, 18 अप्रैल (वार्ता) चीन, दक्षिण चीन सागर में पार्टियों के आचरण पर घोषणा को पूरी तरह और प्रभावी ढंग से लागू करने और संहिता की बातचीत में तेजी लाने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के अन्य देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है।

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