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आसिया बीबी मुद्दा :जमाउत कानूनी कार्रवाई के पक्ष में

लाहौर 11 नवंबर (वार्ता) जमाउत दावा (जेयूडी) की आसिया बीबी मामले को लेकर कुछ आपत्तियां हैं लेकिन इसका न्यायपालिका समेत राष्ट्रीय संस्थानों के प्रति सम्मान भी है जिसकी वजह से हाल के विरोध प्रदर्शनों में यह संगठन शामिल नहीं हुआ।
डॉन ने पार्टी प्रवक्ता अहमद नदीम के हवाले से धार्मिक राजनीतिक पार्टियों की ओर से आयोजित हिंसक प्रदर्शनों को लेकर जेयूडी के ठंडे रुख पर की जा रही चर्चा के बारे में कहा कि अदालत के आदेश सुनाने के दो दिन बाद शुक्रवार को पार्टी ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था लेकिन विरोध प्रदर्शन जब हिंसक होने लगा तो पार्टी ने सड़कों पर आने के बजाए खुद को शुक्रवार की नमाजों तक ही सीमित करने का फैसला किया।
श्री नदीम ने कहा, “जिस दिन अदालती आदेश सुनाया गया, उस दिन पार्टी सलाहकार इकाई पहले से ही बैठक कर रही थी। इसमें आदेश को लेकर चर्चा की गयी और इस मुद्दे पर वरिष्ठ वकीलों से परामर्श किया गया। परामर्श के बाद पार्टी ने सोचा कि यह कानूनी गलती थी और इसे केवल कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किया जा सकता है। आखिरकार, सुनवाई अदालत ने उसे लंबे मुकदमे के बाद मौत की सजा सुनाई थी।”
बाद में आसिया बीबी का मामला लाहौर हाई कोर्ट में गया जहां उनकी मौत की सजा को बरकरार रखा। पर, अब पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने आसिया को संदेह का लाभ देते हुए बाइज्जत रिहा करके इतिहास रच दिया।
श्री नदीम कहते हैं, “ पार्टी का मानना था कि संदेह के लाभ की मात्रा केवल वकीलों द्वारा ही तय की जा सकती है और केवल वकील ही अदालत के समक्ष इसकी पुष्टि कर सकते हैं। तो, सड़क पर जाने की बजाय पार्टी ने कानूनी प्रक्रिया के नतीजे आने का इंतजार करने का फैसला किया। यही कारण है कि हमारी पार्टी के प्रमुख पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने की मांग करने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके बाद ही मुफ्ती मुनिब, सिराजुल हक एट अल जैसे लोग अगले दिन उनका अनुसरण करते दिखाई दिये।”
पार्टी के अहिंसक दर्शन के अपने दावे के पक्ष में श्री नदीम ने कहा कि सरकार जब दान से जुड़े संगठनों पर कार्रवाई कर इसका नियंत्रण अपने हाथों में ले लेती है तब भी पार्टी ने नरम रवैया अपनाये रखा। इसने अदालत में निर्णय को ही चुनौती दी। तब भी यह हिंसक नहीं हुआ था, जब इस वर्ष जनवरी में इसके नेता हाफिज मुहम्मद सईद को गिरफ्तार किया गया था। पार्टी अध्यक्ष ने खुद ही लोगों को शांतिपूर्ण रहने और कश्मीर दिवस पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा,“ यह साबित करता है कि पार्टी कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करती है और इसके नतीजे की प्रतीक्षा करेगी।” उन्होंने कहा,“ यह एक दिन के लंबे (शुक्रवार) शांतिपूर्ण विरोध का हिस्सा था लेकिन जब विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया तो हम चुप हो गये।”
संजय.श्रवण
वार्ता
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