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दुनिया


इस पूरे मामले पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और समुदाय ने अमेरिकी राजदूत को ट्विटर पर दिये संदेश में कहा ,“ आधी रात के समय गालेफेस में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई बेहद चिंताजनक है। हम शासन प्रशासन से संयम बरतने और इस कार्रवाई में घायल हुए लोगों को जल्द से जल्द चिकित्सीय मदद मुहैया कराने की अपील करते हैं।”
संयुक्त राष्ट्र की रेजीडेंट कॉरडिनेटर हना सिंगर हैमडी ने एक संदेश में कहा, “ प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों का इस्तेमाल बेहद चिंताजन है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का अधिकार है कि वे प्रदर्शन पर नजर बनायें रहें और उनके कार्य में रूकावट नहीं डाली जानी चाहिए। सरकार की ओर से प्रदर्शन को दबाने या प्रदर्शनकारियो के शांतिपूर्ण तरीके से किसी स्थान पर एकत्र होकर विरोध जताने के खिलाफ की गयी किसी कार्रवाई से श्रीलंका में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक स्थिति को और झटका लग सकता है।”
श्रीलंका की बार एसोसिएशन ने भी आधी रात के समय प्रदर्शनकारियों के खिलफ की गयी सैन्य कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने भी इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए इसे लोगों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया। आयोग ने कहा कि वह खुद भी इस मामले की जांच करायेगी ताकि कानून व्यवस्था बनायी जा सके।
देश के नये राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करने के बावजूद सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी हैं क्योंकि नये राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को भी देश में राजपक्षे के ही सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है।
सोनिया,आशा
वार्ता
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