श्रीनगर 28 मई (वार्ता) कश्मीरी नरमपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करना लोगों को भड़काने और डराने का जानबूझकर किया गया प्रयास लगता है।
एनआईए ने आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराए गए मलिक के लिए मौत की सजा की मांग को लेकर शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट सोमवार को मामले की सुनवाई करेगा। मलिक को मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पिछले साल मई में विशेष एनआईए अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
एपीएचसी ने कहा कि मलिक के लिए मौत की सजा की मांग जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ‘बेहद परेशान’ करने वाली है।
एपीएचसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “दुर्भाग्य से एक के बाद एक ऐसे निर्देश और फरमान अधिकारियों द्वारा लाए जाते हैं जो लोगों को भड़काने और डराने तथा उनकी चिंताओं व आशंकाओं को बढ़ाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास लगता है।
ऐसे अधिकारी शांति और विकास को अपने एजेंडे के रूप में दावा करते हैं।”
एपीएचसी ने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक कैदियों और नेताओं को काे रिहा करने की अपील की जो जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जेलों या दूसरे राज्याें की जेलों में बंद हैं। इसीप्रकार सैकड़ों युवाओं, छात्रों, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और अन्य सभी को जेलों से बाहर निकाला जाना चाहिए।
शनिवार को जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की कई पार्टियों ने मलिक के मामले की समीक्षा की मांग की।
संजय,आशा
वार्ता