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भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर संकट नहीं: शाही

भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर संकट नहीं: शाही

देवरिया,20 दिसम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि देश विभाजन के बाद जिन लोगों ने भारत में रहना स्वीकार किया, उनकी नागरिकता पर किसी प्रकार का संकट नहीं है।

श्री शाही ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा “ दुनिया के सभी देशों में सीरीज रजिस्टर होता है। हमारे देश में भी सीरीज रजिस्टर बनाये जाने का प्रस्ताव कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में आया था लेकिन वह इसे क्रियान्वित नहीं कर सके। अब केन्द्र सरकार ने इसे क्रियान्वित किया है। इस पर किसी प्रकार का शंका करना और गुमराह होना उचित नहीं है। ”

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन में भी जो उस समय रहने वाले लोग भारत वासी हैं, भले ही मुस्लिम समुदाय के क्यों न हो उनकी नागरिकता पर किसी प्रकार का संकट नहीं है। यह नागरिकता संशोधन कानून इसी के तहत लाया गया है।

श्री शाही ने कहा कि बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू देश का विभाजन धार्मिकता के आधार पर नहीं होने के पक्षधर नहीं थे। बाबा साहब ने कहा था कि जिन पर पाकिस्तान में इस्लाम धर्म स्वीकार कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है,उनकाे हम भारत के भीतर लाकर शुद्धिकरण करेंगे। गांधी जी ने भी कहा था कि जो लोग विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह गये हैं, उनके धार्मिक हितों की रक्षा करना भारत सरकार का कर्तव्य है और इसको नेहरू जी ने भी स्वीकार किया था कि हम इस बात की चिंता करेंगे। 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से भारत में आये लोगों को सिटीजन सीडीओ के तहत नागरिकता दी थी।

मंत्री ने कहा “ आज जब नागरिकता संशोधन कानून को अमली जामा पहनाया गया है,तो कुछ लोग गुमराह होकर सड़क पर उतर कर अपना हिंसक विरोध कर रहे हैं, जो राष्ट्रहित में नहीं हैं। जिन लोगों ने 1947 में देश में रहना स्वीकार किया। उनकी नागरिकता पर किसी प्रकार का संकट नहीं है और यही बात देश के प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद के भीतर और बाहर कहीं है।

सं प्रदीप

वार्ता

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