जयपुर 18 अकटूबर (वार्ता) राजस्थान में किसान महापंचायत किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए अब केन्द्र सरकार के खिलाफ शनिवार से अभियान शुरु करेगी।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए वह 19 अक्टूबर से प्रदेशव्यापी दौरा आरंभ करेंगे। इसके प्रथम चरण में वह जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ एवं राजसमंद जिलों का दौरा कर किसानों को जागरुक कर प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) से उत्पन्न न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल खरीद की बाधाओं को हटाने के लिए केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया जायेगा।
श्री जाट ने बताया कि यह योजना के कारण राज्य में किसानों की उपजों की खरीद का पंजीयन कराना काफी मुश्किल काम हो रहा है और इस कारण राज्य में मूंग, मूंगफली, उड़द एवं सोयाबीन को लागत से भी कम दामों पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है, जिससे सर्वाधिक घाटा मूंग पर प्रति क्विंटल दो हजार रुपए तक उठाना पड़ रहा है।
अभी खरीद उपज की खरीद शुरु नहीं होने से किसानों को रवि की फसल के लिए पैसों की जरुरत के कारण अपनी उपजें कम दामों पर बेचनी पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि फसलों को बेचने के लिए ऑन लाईन पंजीयन की वेबसईट कभी दस मिनट चलती कभी बीस मिनट जबकि किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए पंजीयन कराने दिन भर अपना काम छोड़कर पटवारी एवं ईमित्र एवं लोक मित्र केन्द्रों पर बैठे रहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि योजना के प्रावधानों के अनुसार कुल उत्पादन में से 75 प्रतिशत उत्पादों को खरीद की परिधि से बाहर कर दिया गया है। इस कारण पंजीयन शुरु होने के दूसरे दिन ही नागौर, सीकर एवं टोंक जिले के कई केन्द्रों पर पंजीयन सीमा पूर्ण होने पर पंजीयन करना बंद कर दिया गया जिससे किसान काफी परेशान है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में किसानों की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गत 14 सितम्बर और 14 अक्टूबर को पत्र भेजकर इस योजना के कारण किसानों की उपज खरीद में आ रही बाधाओं को दूर करने का अनुरोध किया गया है। इस संबंध में गत 22 सितंबर को किसानों का एक शिष्टमंडल राज्य के राज्यपाल से भी मिलकर ज्ञापन दिया गया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिलकर इस योजना के प्रावधानों में विद्यमान खरीद की बाधाओं को हटाने के लिए ज्ञापन सौंपकर आग्रह किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि उनके ज्ञापन सौंपने के बाद मुख्यमंत्री ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन वहपत्र भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं समझे और किसानों की अपेक्षा है कि उन्हें भी खरीद की बाधाओं की समाप्ति तक किसानों का साथ देना चाहिए।
श्री जाट ने बताया कि सरकार दलहन एवं खाद्य तेल के आयात पर प्रतिवर्ष एक लाख करोड़ रुपए तक का व्यय करती है फिर भी उनकी 75 प्रतिशत उपजों को खरीद की परिधि से बाहर करने के पीए आशा में प्रावधान किये गये है। उन्होंने कहा कि जब गेंहू , धान जैसे मौटे अनाजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यपर खरीद पर किसी प्रकार के प्रतिबंध नहीं है तब दलहन एवं तिलहन के उत्पादों की खरीद पर ऐसे प्रतिबंध क्यों है।
उन्होंने बताया कि हाल में किसानों के आंदोलन के तहत दूदू से जयपुर कूच के कारण राज्य सरकार ने किसानों की उपज को बेचने के लिए प्रत्येक सेवा सहकारी समित पर खरीद केन्द्र खोले जाने की सहमति प्रदान की है लेकिन पीएम आशा योजना के कारण आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए अभी किसानों की लड़ाई जारी रहेगी।
जोरा
वार्ता