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अब रबर के पेड़ की लकड़ी से खूबसूरत फर्नीचर बना

अब रबर के पेड़ की लकड़ी से खूबसूरत फर्नीचर बना

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (वार्ता) देश में पहली बार रबर के पेड़ की लकड़ियों से अब खूबसूरत फर्नीचरों का निर्माण किया जा रहा है जिस पर दीमक या अन्य कीड़ों तथा पानी का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है और रबर की खेती करने वाले किसानों को बेकार की समझी जाने वाली इस लकड़ी की अच्छी कीमत भी मिल रही है। केरल राज्य रबर को आॅपरेटिव लिमिटेड (रबको) ने मलेशिया के तकनीकी सहयोग से रबर पेड़ की लकड़ियों से घरेलू और व्यावसायिक और कार्यालय उपयोग के फर्नीचरों का निर्माण किया जा रहा है। केरल के कन्नूर में पूरी तरह यांत्रिकृत इस कारखाने में लगभग 150 किस्मों के फर्नीचरों का उत्पादन किया जा रहा है। थोक में आर्डर दिये जाने और डिजाइन बताये जाने पर उसके अनुरूप भी सामानों का उत्पादन किया जाता है। रबको के दिल्ली स्थित प्रतिनिधि एस सी वर्मा के अनुसार केरल में बड़े पैमाने पर किसान रबर के पौधों की खेती करते हैं और इससे रबर का उत्पादन करते हैं। रबर के पौधे लगाये जाने के दस वर्ष बाद रबर के दूध (लेटेक्स) का उत्पादन शुरू हो जाता है तथा 25 से 30 वर्ष तक इसका उत्पादन होता है। इसके बाद इसके पेड़ को काट दिया जाता है और फिर इसके स्थान पर दूसरा पेड़ लगाया जाता है। जब तक लेटेक्स का उत्पादन शुरू नहीं होता है तब तक किसान इस खेत में अन्य फसलों की खेती करते हैं। लेटेक्स के उत्पादन के बंद होने के बाद पहले किसान इन पेड़ों को काट देते थे और जलावन में इसका उपयोग किया जाता था जिसका उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं होता था। नयी तकनीक के आने के बाद किसान बाजार मूल्य पर इस लकड़ी की बिक्री करते हैं तथा अपने उत्पाद का पूरा लाभ लेते हैं।


रबर के पेड़ की लकड़ियों की विभिन्न साइजों में चिराई के बाद उसका रासायनिक उपचार किया जाता है ताकि उसमें दीमक, दूसरे कीड़ों या पानी का दुष्प्रभाव नहीं हो। फर्नीचर की खूबसूरती के लिए फिनिशिंग का हर काम मशीनों से ही किया जाता है। फर्नीचर के तैयार होने के बाद उसकी रंगाई की जाती है। आम तौर पर कम्पनी लकड़ी के प्राकृतिक रंग, चीली रेड, मधु तथा एक अन्य रंग में फर्नीचरों को उपलब्ध कराती है। श्री वर्मा के अनुसार विभिन्न किस्म की एक कुर्सी की कीमत 4000 से 10000 रुपये के बीच है जबकि 6000 से 16000 रुपये के बीच डायनिंग टेबल उपलब्ध है। तीन पीस का सोफा 45000 से 80000 रुपये तथा अलग-अलग किस्मों का पलंग 15000 से 56000 रुपये के बीच उपलब्ध है। सालाना लगभग एक सौ करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली इस कम्पनी में केरल सरकार की 90 प्रतिशत पूंजी लगी है जबकि किसानों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। केरल के लगभग 20 लाख किसान रबको के सदस्य हैं। जो किसान इस सहकारी कम्पनी के सदस्य हैं उन्हीं से रबर के पेड़ की लकड़ियां खरीदी जाती है। अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और खाड़ी देशों को फर्नीचरों का निर्यात किया गया है और देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), केरल और तमिलनाडु सरकार के प्रतिष्ठानों तथा कुछ जगहों में फर्नीचरों की आपूर्ति की जा रही है। रबको का ध्यान अब केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठानों एवं उत्तर भारत में रबर की लकड़ियों के फर्नीचर के बाजार को बढ़ाने की ओर है और वह इस दिशा में काम कर रहा है। अरूण. उपाध्याय. मनीषा वार्ता

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