नयी दिल्ली, 10 अप्रैल (वार्ता) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बचपन में एक नाटक ने ही त्याग, ईमानदारी और सत्य के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया था और इसलिए उनकी 150वीं जयंती के मौके पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी ) ने उनके जीवन पर आधारित नाटक ‘पहला सत्याग्रही’ के मंचन करने का फैसला किया है ताकि युवा पीढी में गांधी का सन्देश पहुंचाया जा सके।
यह कहना है एनएसडी के निदेशक एवं प्रसिद्ध रंगकर्मी सुरेश शर्मा का जिनके निर्देशन में यह नाटक 13 अप्रैल से 21 अप्रैल तक मंचित किया जायेगा और बाद में इसके शो देश के अन्य शहरों में करने की योजना है।
श्री शर्मा इस से पहले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जीवन पर आधारित नाटक कर चुके हैं जिनके 60 से अधिक शो देश के विभिन्न शहरों में हो चुके हैं और गांधी के बाद वह बाबा साहब अम्बेडकर पर भी एक नाटक करने की भी योजना रखते हैं।
वर्ष 1985 में एनएसडी से डिप्लोमा करने वाले श्री शर्मा ने यूनीवार्ता को बताया कि प्रसिद्ध रंग समीक्षक एवं पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी द्वारा लिखित डेढ़ घंटे के इस नाटक में कुल बीस पात्र हैं जिनमे छः महिला कलाकार हैं। यूं तो गांधी जी पर कई नाटक लिखे गये हैं पर वे उनके जीवन के किसी एक हिस्से से जुड़े हैं लेकिन यह एक सम्पूर्ण नाटक है जिसमें दक्षिण अफ्रीका के आन्दोलन से लेकर चंपारण आन्दोलन, नमक सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन ,दांडी मार्च और भारत छोडो आन्दोलन के भी दृश्य हैं।
अब तक करीब सत्तर नाटकों का निर्देशन कर चुके श्री शर्मा ने कहा कि मोहनदास करमचन्द गांधी से महात्मा गांधी बनने के पीछे एक नाटक का ही हाथ है। उन्होंने बचपन में सत्य हरिश्चंद्र नाटक देखा था और उस नाटक ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। उनके जीवन में त्याग इमानदारी और सत्य निष्ठा की भावना इस नाटक से ही आयी थी और गांधी जी ने इस बात को स्वीकार किया है , इसलिए हमने उनके 150 वें जन्म वर्ष में यह नाटक करने का फैसला किया ताकि नयी पीढी को इस नाटक के माध्यम से गांधी से कुछ प्रेरणा मिले जैसी प्रेरणा गांधी को एक नाटक से मिली थी।
उन्होंने बताया कि गांधी की पहली जीवनी 1909 में दक्षिण अफ्रीका के एक पादरी जोसफ के डोक ने लिखी थी जो दक्षिण अफ्रीका में उनके संपर्क में आया था तब गांधी भारत लौटे भी नही थे। इस नाटक में वह भी एक पात्र है । लोग महादेव देसाई और प्यारे लाल को उनके निजी सचिव के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग यह जनते हैं कि सोनिया त्सेर्सिन उनके पहली सचिव थी जो दक्षिण अफ्रीका में उनके साथ थी । ये तीनों सचिव इस नाटक के पात्र हैं। इसके अलावा हरमन बाख नामक एक और पादरी भी पत्र है जिसने दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्टॉय फार्म के लिए गांधी जी को 111 एकड़ भूमि मुफ्त में दे दी थी ।
उन्होंने बताया कि आज से करीब बीस साल पहले मशहूर रंगकर्मी प्रसन्ना ने गांधी पर एक नाटक किया था उसके बाद नन्द किशोर आचार्य ने बापू नामक नाटक लिखा। फिर गांधी बनाम महात्मा नाटक गुजराती लेखक दिनकर जोशी के उपन्यास पर लिखा गया। मराठी में गांधी बनाम अम्बेडकर नाटक बहुत चर्चित हुआ जिसका हिन्दी अनुवाद भी काफी लोकप्रिय हुआ और देश भर में उसके ६०- ६५ नाटक खेले गये। प्रसिद्ध लेखक असगर वजाहत ने गांधी और गोडसे को लेकर भी एक नाटक लिखा। इस तरह गांधी के जीवन पर अनेक नाटक खेले गए। किसी व्यक्ति विशेष पर इतने नाटक आज तक मंचित नहीं हुए।
नाटक के लेखक श्री त्रिपाठी ने कहा कि देश में सांप्रदायिकता और धर्मों को आपस में लड़ाने की जिस तरह कोशिश हो रही है उसे देखते हुए यह नाटक काफी प्रासंगिक है। गांधी इतिहास के ऐसे महापुरुष हैं जिन्हें कलाकारों ने भी अपनी कला के जरिये श्रधांजलि अर्पित की है। यह नाटक गांधी का नया आविष्कार करने का प्रयास है। मैं युवा वर्ग से अपील करना चाहूंगा कि वे यह नाटक अवश्य देखें।
अरविन्द टंडन
वार्ता