नयी दिल्ली, 25 मई (वार्ता) खेलों में 13 नंबर को अशुभ माना जाता है लेकिन भारत के पूर्व हॉकी कप्तान बलबीर सिंह सीनियर के लिए 1952 में हेलसिंकी में हुए ओलंपिक में 13 नंबर की जर्सी शुभ साबित हुई।
तीन बार ओलंपिक विजेता टीम के सदस्य रहे बलबीर का सोमवार को मोहाली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बलबीर के शानदार प्रदर्शन की अमिट छाप भविष्य के खिलाड़ियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत्र रहेगी।
हेलसिंकी में हुए 1952 के ओलंपिक खेलों में बलबीर सिंह को भारतीय टीम का उपकप्तान चुना गया था औऱ उन्हें 13 नंबर की जर्सी पहनने के लिए दी गई थी। खेलों में इस नंबर को अशुभ माना जाता है लेकिन यह नंबर बलबीर के लिए यह भाग्यशाली रहा। पूरे टूर्नामेंट में भारत ने कुल 13 गोल स्कोर किए थे, उनमें से अकेले बलबीर के नौ गोल थे।
हेलसिंकी ओलंपिक में बलबीर सिंह भारतीय दल के ध्वजवाहक बनाए गए थे और उद्घाटन समारोह में मार्च पास्ट के दौरान हजारों कबूतर उड़ाए गए थे। उनमें से एक कबूतर ने बलबीर के बाएं जूते पर बीट कर दी थी, इसके बावजूद वह मार्च करते रहे।
बलबीर ने इस वाक्ये को याद करते हुए कहा था, “मैं हेलसिंकी ओलंपिक में भारतीय टीम का ध्वजवाहक था औऱ परेड के दौरान हज़ारों कबूतर उड़ाए गए, जो हमारे ऊपर से उड़ कर गए। उनमें से एक कबूतर ने मेरे ऊपर बीट कर दी जो कि मेरे बांए पैर के जूते पर गिरी। लेकिन मैं हैरान परेशान होकर मार्च करता रहा।”
उन्होंने कहा था, “मुझे डर था कि कहीं उन कबूतरों ने मेरे भारत के ब्लेजर को तो गंदा नहीं कर दिया। समारोह के बाद मैं कागज़ ढ़ूढ़ने लगा जिससे मैं अपने जूते पर गिरी कबूतर की बीट पोछ सकूं, तभी आयोजन समिति के एक सदस्य ने मेरी पीठ पर हाथ मार कर कहा..बधाई हो, फ़िनलैंड में बाएं जूते पर कबूतर की बीट गिरने को सबसे शुभ माना जाता है। ये ओलंपिक तुम्हारे लिए बहुत भाग्यशाली होने जा रहा है।”
आयोजन समिति के सदस्य की भविष्यवाणी बिल्कुल सही निकली और भारत ने हॉलैंड को फ़ाइनल में 6-1 हरा कर एक बार फिर स्वर्ण पदक जीता। इस मैच में बलबीर ने छह में से पांच गोल किए थे। फाइनल में पांच गोल करने का उनका रिकॉर्ड आज तक कायम है।
शोभित राज
वार्ता