मुंबई 06 जनवरी (वार्ता) बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय और संवाद अदायगी से ओमपुरी ने लगभग तीन दशक से दर्शको को अपना दीवाना बनाया है लेकिन कम लोगो को पता होगा कि वह अभिनेता नही बल्कि रेलवे ड्राइवर बनना चाहते थे । 18 अक्तूबर 1950 को हरियाणा के अंबाला में जन्में ओम पुरी का बचपन काफी परेशानी में बीता । परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिये उन्हें एक ढाबे में नौकरी तक करनी पड़ी थी। लेकिन कुछ दिनाें बाद ढाबे के मालिक ने उन पर चोरी का आरोप लगाकर हटा दिया । बचपन में ओमपुरी जिस मकान में रहते थे उससे पीछे एक रेलेवे यार्ड था । रात के समय ओमपुरी अक्सर घर से भागकर रेलवे यार्ड में खड़ी किसी ट्रेन में सोने चले जाते थे । उन दिनों उन्हें ट्रेन से काफी लगाव था और वह बड़ा हो कर रेलवे ड्राइवर बनना चाहले थे। कुछ समय के बाद ओमपुरी अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला चले आये जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की । इस दौरान उनका रूझान अभिनय की ओर हो गया और वह नाटकों में हिस्सा लेने लगे । इसके बाद ओम पुरी ने खालसा कॉलेज में दाखिला ले लिया। इस दौरान ओमपुरी एक वकील के यहां बतौर मुंशी काम करने लगे । इस बीच एक बार नाटक में हिस्सा लेने के कारण वह वकील के यहां काम पर नही गये ।
बाद में वकील ने नाराज होकर उन्हें नौकरी से हटा दिया। जब इस बात का पता कॉलेज के प्राचार्य को चला तो उन्होंने ओमपुरी को कैमिस्ट्री लैब में सहायक की नौकरी दे दी। इस दौरान ओमपुरी कॉलेज में हो रहे नाटकों में हिस्सा लेते रहे । यहां उनकी मुलाकात हरपाल और नीना तिवाना से हुई जिनके सहयोग से वह पंजाब कला मंच नामक नाट्य संस्था से जुड़ गए । लगभग तीन वर्ष तक पंजाब कला मंच से जुड़े रहने के बाद ओमपुरी ने दिल्ली में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला ले लिया । इसके बाद अभिनेता बनने का सपना लेकर उन्होंने पुणे फिल्म संस्थान में दाखिला ले लिया । वर्ष 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडिय¨ में अभिनय की शिक्षा भी दी। बाद में ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की । ओमपुरी ने अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की । मराठी नाटक पर बनी इस फिल्म में ओमपुरी ने घासीराम का किरदार निभाया था । इसके बाद ओमपुरी ने गोधूलि , भूमिका, भूख, शायद, सांच को आंच नही जैसी कला फिल्मों में अभिनय किया लेकिन इससे उन्हें कोई खास फायदा नही पहुंचा। वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘आक्रोश’ ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुयी । गोविन्द निहलानी निर्देशित इस फिल्म में ओम पुरी ने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया जिस पर पत्नी की हत्या का आरोप लगाया जाता है। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये ओमपुरी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये।