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सवा सौ करोड़ लोगों की ताकत भर कर विश्वनेताओं से मिलता हूं -मोदी

सवा सौ करोड़ लोगों की ताकत भर कर विश्वनेताओं से मिलता हूं -मोदी

नयी दिल्ली 20 जनवरी (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व कूटनीतिक मंच पर अपनी अलग पहचान बनाने के बारे में कहा कि वह अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस और चीन के ताकतवर नेताओं के बीच जब खड़े होते हैं तो सवा सौ करोड़ भारतीयों के समर्थन की ताकत भर कर उनसे प्रोटाेकाॅल के दायरे से बाहर सहजता से व्यवहार करते हैं।
श्री मोदी ने कल देर शाम यहां एक टेलीविजन समाचार चैनल द्वारा प्रसारित एक इंटरव्यू में विदेश नीति और विदेशी नेताओं से संबंधों को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि जब वह चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बने थे तो लोग कहते थे कि श्री मोदी तो बाहर के हैं, उन्हें क्या पता विदेशी नेताओं से मिलने का प्रोटोकॉल क्या है, वह क्या विदेश नीति चलाएंगे। लेकिन उन्हें अपनी कमज़ाेरी को ताकत बनाना आता है।
उन्होंने कहा कि वह बहुत साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और इसलिए यह सच है कि उन्हें प्रोटोकॉल रास नहीं आता। उन्हें सहज सामान्य मनुष्य रहना भाता है। जब वह विश्व नेताओं से मिलते हैं तो प्रोटोकॉल के दायरों के बाहर सहजता से बातचीत करना पसंद करते हैं इसलिए नेताओं से निजी रिश्ते बन जाते हैं। यह कोई बहुत सोची समझी रणनीति नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि जब वह विदेश जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हों और एक ओर रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, तो वह कैसा अनुभव करते हैं और कैसे संवाद करते हैं, श्री मोदी ने कहा कि वह जानते हैं कि एक व्यक्ति के रूप में उनकी हैसियत कुछ भी नहीं है। लेकिन वह वहां सवा सौ करोड़ लोगों के समर्थन की ताकत भर कर वहां खड़े होते हैं और लोगों से आंख में आंख डाल कर बात करते हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 के पहले भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रोटोकॉल ही निभाता रहा। लेकिन उसके बाद भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात कहना शुरू किया। जी-20 की बैठक में काले धन पर रोक लगाने के लिये बैंकिंग सूचनाओं के प्रवाह की स्वत: जानकारी साझा करने का सुझाव रखा ताे उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्वीकार किया। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन को लेकर भी भारत की बात को विश्व समुदाय ने माना है।
प्रधानमंत्री ने विश्व योग दिवस के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में मिले व्यापक समर्थन को अभूतपूर्व बताया और कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक ताकत का नमूना है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत को मान सम्मान देश में किए जाने वाले काम के आधार पर ही मिलता है। उनकी सरकार ने आंतरिक सुधारों के माध्यम से कारोबारी सुगमता सूचकांक में देश को 142 के पायदान से छलांग लगाकर सौवीं पायदान पर खड़ा कर दिया। वे लोग जानते हैं कि यह साधारण बात नहीं है। 30 करोड़ से अधिक लोगों को जन धन के माध्यम से वित्तीय समावेशन करना, 18000 गांवों में बिजली पहुंचाना, तीन करोड़ 30 लाख घरों में गैस चूल्हा पहुंचाना कम बड़ी बात नहीं है।
सचिन रीता
वार्ता

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