खेलPosted at: Aug 25 2018 5:15PM भारतीय कबड्डी के पतन की सूत्रधार एक भारतीय
जकार्ता, 25 अगस्त (वार्ता) एशियाई खेलों में कबड्डी के इतिहास में पिछले 28 वर्षाें में यह पहली बार है जब भारतीय टीमें स्वर्ण पदक के बिना स्वदेश लौटेंगी। भारतीय कबड्डी के इस पतन में किसी और की नहीं बल्कि एक भारतीय कोच की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
महाराष्ट्र के नासिक जिले की शैलजा जैन ने लगभग 30 साल का समय अपने राज्य में सैंकड़ों बच्चों को कबड्डी सिखाते हुये गुजारा था लेकिन उन्हें कभी भी भारतीय राष्ट्रीय टीम की अगुवाई करने का मौका नहीं मिला। यह बात हमेशा शैलजा को बहुत चुभती रही और इसी चुभन का नतीजा है कि दो बार की चैंपियन भारतीय महिला टीम फाइनल में ईरान के हाथों शिकस्त खा बैठी।
अब सवाल यह उठता है कि शैलजा और ईरान का क्या वास्ता है। दरअसल शैलजा ही ईरान की महिला टीम की कोच हैं और उन्होंने अपनी टीम से इन एशियाई खेलों से स्वर्ण पदक का वादा लिया था जिसे उनकी टीम ने पूरा कर दिखाया। 62 साल की शैलजा ईरान की इस सफलता से बेहद खुश हैं। ईरानी महिला खिलाड़ियों ने अपनी खिताबी जीत के बाद शैलजा के पास जाकर कहा,“ मैडम हमने आपको वह तोहफा दे दिया जो आपने चाहा था।”
एक वर्ष पहले ईरान ने शैलजा के सामने महिला टीम की कोचिंग का प्रस्ताव रखा था, हालांकि शुरू में इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था लेकिन जब ईरान ने दोबारा एक बेहतर प्रस्ताव रखा तो वह इसे ठुकरा न सकीं। उनके मन में खुद को साबित करने की एक कसक थी जिसे उन्होंने ईरानी टीम के जरिये पूरा करने का लक्ष्य उठाया।