राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Nov 24 2020 9:44PM विवाह के लिये जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध संबंधी अध्यादेश को मंजूरी
लखनऊ 24 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को विवाह के लिये जबरन धर्मांतरण पर प्रतिबंध संबंधी अध्यादेश को पारित कर दिया। इसके साथ ही यह कृत्य दंडात्मक अपराध की श्रेणी में गिना जायेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में पारित अध्यादेश के मुताबिक अलग अलग धर्मो के युवक युवती को विवाह के लिये दो माह पहले जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी जिसके बाद वह विवाह कर सकते हैं। बगैर अनुमति विवाह करने वाले युगल को छह माह से तीन साल की जेल और कम से कम दस हजार रूपये जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ सकती है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि नाम और धर्म छिपाकर विवाह करने वालो के लिये दस साल की कैद का प्रावधान अध्यादेश में रखा गया है। इसके अलावा कानून का उल्लघंन अथवा धर्मांतरण के मामले में पांच साल की जेल और 15 हजार रूपये जुर्माने का प्रावधान है।
उन्होने बताया कि नाबालिग अथवा अनुसूचित जाति.जनजाति की लड़की से विवाह रचाने वालो को तीन से दस साल की कैद और न्यूनतम 25 हजार रूपये का जुर्माना देना होगा। बड़ी संख्या में धर्मांतरण के मामले में तीन से दस साल की जेल और न्यूनतम 50 हजार रूपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
श्री सिंह ने बताया कि अध्यादेश महिलाओं को न्याय दिलाने के लिये लाया गया है। उन्होने दावा किया कि कम से कम 100 ऐसे मामले प्रकाश में आये है जहां महिलाओं को विवाह के बाद धर्म परिवर्तन करने के लिये मजबूर किया गया क्योंकि विवाह के समय पति ने अपना धर्म छिपाकर विवाह रचाया था।
प्रदीप
वार्ता